Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

विराह और प्यार

संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी कविता लोगों के लिए प्रेरणा से ओत_प्रोत है, और जीवन के सच्ची पहलू को उजागर करता है। 43218 0 Hindi :: हिंदी

उसके जाने के बाद,
खामोश मेरी जिन्दगी,
धड़कने भी बेजुबान,
समा भी उदास बनी ,
इंतजार में उसकी राह देख रही थी।

कई अरसे से मेरा,
नींद भी गायब,
चैन भी चुप्पी साध ली थी,
दिल बार_बार उसे ही,
पुकार रही थी।

धीरे_धीरे विराह की,
व अग्न ताप के साथ,
बढ़ती गई_बढ़ती गई
और मैं उस अग्न में,
जलता गया_जलता गया।

आलम यह हुआ,
की मैं एक,
बुत सा बन गया
नहीं रहा कोई बुध_सुध,
पागल लगा मैं उसे ढूंढने।

पर मेरी ये हालत,
रब को नहीं देखी गई,
वो दिन बुध बड़ा ही शुभ,
अचानक सा, मेरी दिल और जान,
मेरा विछरा प्यार पिंकी,
दरवाजे से कॉल_बेल बजाई ।

मैं तो था ही इन्तजार में,
दौड़ा झट से दरवाजा खोला,
देखा सामने मेरी दुनिया खड़ी,
 मुस्कुरा सी रही थी।

मैं बड़ी ही गर्म जोशी से,
दोनो हाथ आगे की और फैला दिया,
वो मेरे चैन और नींद,
मेरे गले से लिपट,
गर्म प्यार की आहें लेने लगी।
                      चिंटू भैया

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: