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एक बेटी का दर्द

Chanchal chauhan 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक बेटिंयो की दर्द भरी आवाज सुनो उनको आगे बढ़ने का मौका दो 15222 0 Hindi :: हिंदी

बेटी ना देना उस घर में जहां उनका सम्मान ना हो, उनका आदर,
खुशियों का ख्याल ना हो,
ना जाने कितनों के सपने अधूरे रह जाते हैं, उनके अरमा दफन हो जाते हैं, उनकी भविष्य की चिंता ना हो,
घर के कामकाज में सिमट के रह जाती है बेटियां, उनको कुछ करने का हक ना हो, ताना मारा जाता है,
घर ससुराल में, न जाने क्यों बोझ समझा जाता है बेटियों को,
कहे किसे अपना जग पराया लगता है, घर में दे जवाब बेटी जुंवान लड़ाती हैं, ससुराल में दे जवाब
असंस्कारी लगती हैं,
अपनी बात कहने का हक नहीं उसे,
अपनी मर्जी से जीने का भी,
घुट -घुट कर जीने की मोहर लगा दी जाती है, उस पर क्यों दूसरों की मर्जी थोपी जाती हैं,
सुनो उनकी दर्द भरी आवाज,
मौका दो कुछ करने का,
बेटियां इतिहास बना जाती है।
लेखिका चंचल चौहान

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