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धान

Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 39760 0 Hindi :: हिंदी

धान उगेंगे मेघ गरजेंगे
देखना गगन तुम जरूर/

बादलो को सूरज से पिघलाएंगे
खेतो को पानी से नहलाएंगे,

धान उगेंगे मेघ गरजेंगे
देखना गगन तुम जरूर/

न रोंदेंगे धानों को
न खोएंगे अपने प्राणो को
न खोएंगे अपने खेत-खलियानो को
न खोएंगे अपने धानों को,

धान उगेंगे मेघ गरजेंगे
देखना गगन तुम जरूर/

जिस दिन बादल गरजेंगे
उस दिन हवा से बादलो को फेरेंगे,

धान पकेंगे हमारे खेत में
देखना गगन तुम जरूर/
               लेखक - अजीत

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