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अटकन बटकन..छत्तीसगढ़ी बालगीत

DINESH KUMAR SARSHIHA 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #atkan_batkan 9468 0 Hindi :: हिंदी

*छत्तीसगढ़ी प्रतीकात्मक बालगीत* 

*1- ( अटकन )*
अर्थ-
जीर्ण शरीर हुआ जीव जब भोजन उचित रूप से निगल तक नहीँ पाता अटकने लगता है--

*2- ( बटकन )* 
अर्थ-
मृत्युकाल निकट आते ही जब पुतलियाँ उलटने लगती हैं-

*3- ( दही चटाकन )* 
अर्थ - 
उसके बाद जब जीव जाने के लिए आतुर काल में होता है तो लोग कहते हैँ गंगाजल पिलाओ 

*4- (  लउहा लाटा बन के काटा )*
अर्थ-
जब जीव मर गया तब श्मशान भूमि ले जाकर लकड़ियों से जलाना अर्थात जल्दी जल्दी लकड़ी लाकर जलाया जाना 

*6- ( तुहुर-तुहुर पानी गिरय )* 
अर्थ-
जल रही चिता के पास खड़े हर जीव की आँखों में आंसू होते हैं 

*7- ( सावन में करेला फुटय )* 
अर्थ-
अश्रुपूरित होकर कपाल क्रिया कर मस्तक को फोड़ना |

*8- ( चल चल बेटा गंगा जाबो )* 
अर्थ-
अस्थि संचय पश्चात उसे विसर्जन हेतु गंगा ले  जाना ।

*9- ( गंगा ले गोदावरी जाबो )* 
अर्थ- 
अस्थि विसर्जित के लिए तीर्थ यात्रा कर घर लोटना।

*10-  (आठ नगर पागा गुलाब सिंह राजा )* पगबंदी - अन्य अन्य गांव से आने वाले पगबंदी करते हैं और आशीर्वाद देते हैं कि आज से आप इस घर के मुखिया हो या राजा हो।

*11- ( पाका-पाका बेल खाबो )* 
अर्थ-
घर में पक्वान्न (तेरहवीं अथवा दस गात्र में) खाना और खिलाना |
धन संपत्ति बिना महन्त के मिलना।

*12- ( बेल के डारा टुटगे )* 
अर्थ-
हमारे परिवार के एक सदस्य कम हो गया।

*13- ( भरे कटोरा फुटगे )* 
अर्थ- 
उस जीव का इस संसार से नाता छूट गया ।
भरे पूरे परिवार बिखर गया।

*यह प्रतीकात्मक बाल गीत जीवन का सार बताने वाली बहुत ही सुंदर बालगीत है। *

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