संतोष सिंह क्षात्र 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #क्षात्र_लेखनी© #काव्य_विथिका #kavishala #अधर #प्रियतम #समय_का_प्रणय #प्रेमिल #ठसक #प्रेम_की_छुअन #दिल_रोता_है #काव्यांश #हिन्दी_शब्द #कवि_सम्मेलन #स्वरचित #पूर्वा_बहार @Drkumarvishwas #बसंत #मधुमास #बसंतपंचमी #दबे_पांव_आये_ऋतुपति #बसंत_की_आहट #शब्द_हिंदी @SantoshKshatra 12745 0 Hindi :: हिंदी
ठिठुरी पंखुड़ियां विहसने लगी कोमल कलियां हंसने लगी श्याम भ्रमर कर गया क्या कानाफूसी छिटपुट बरदिया बरसने लगी।। पलास गलियारों से सरपट पछुआ सरस झुरकने लगी। चुप-चुप कलियां मुस्कायी पगडंडी सहज महकने लगी।। झांके अमराई घुंघट हटा नन्हे भ्रमर हरषने लगे। शरद थपेड़ों से जो हारे ठुठ नवल पुनगी पा चहकने लगे।। गुथे सघन आकुल झुरमुट दबे पांव आये चुप-चुप। ठुठ टहनियों में भर हरियाली बसंत फुलवारी घुमे छुप-छुप।। #क्षात्र_लेखनी© @SantoshKshatra