Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #चेहरा 25113 0 Hindi :: हिंदी
नक़ाब से ढ़का चेहरा ! हकीकत से जुदा चेहरा !! शराफत में छिपा चेहरा ! चेहरे पे नया चेहरा !! झूठी शान रंगा चेहरा ! सच से अब डरा चेहरा !! आडंबरों की दुनिया में ! आडंबर ही हुआ चेहरा !! गुरु बिन ज्ञान नहीं ! गुरु बिन उद्वार नहीं !! गुरूओं की पावन धरा पे ! आशाराम हुआ चेहरा !! कुटी नहीं हो गया डेरा ! कुटिया ने भी बदला चेहरा !! प्रेमिका के चेहरे पर ! बेटी का निकला चेहरा !! गुरुओं का रूप सुनहरा ! अदाओं से भरा है चेहरा !! गुरुओं की इस मंडी मे ! बन व्यापार चला चेहरा !! हनीप्रीत संग प्रीत लड़ाए ! पिता पुत्र रास रचाएं !! भक्तों को कहीं ढाल बनाएँ ! गुरुओं का ये कैसा चेहरा !! नारायण नहीं नर बनो ! सत कर्मो की आहुति से !! जीवन यज्ञ सम्पूर्ण करो ! चेहरे पर न हो कोंई चेहरा !! गुरुओं की इस धरा पर ! आ न पाए कोंई लुटेरा !! गुरुओं का दामन कलंकित ! कर न पाए, अब कोंई चेहरा !! विपिन बंसल