मारूफ आलम 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक # चमड़े# कविता# 23211 0 Hindi :: हिंदी
जंगल पर राज करने वाले लोग जंगल से खदेड़ दिये तुमने सिर्फ इज्जतें ही नही लूटीं चमड़े तक उधेड़ दिये और इतने पर भी जुल्म तुम्हारे खत्म नही हुए तुम और खूंखार होकर आए आदम खोर की तरह,ताकि खा सको हमारी देह को,ताकि बाकी ना रहे कोई नामोनिशान हमारा ताकि दुनिया को दिखाई ना दे तुम्हारी बर्बरता का कोई सबूत ताकि दुनियाँ यही समझे तुम पर लगे सारे इल्जाम झूठे हैं और तुम आदमखोर होकर भी फरिशतों से नजर आओ बिल्कुल सीधे साधे भोले भाले मारूफ आलम