Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #Rambriksh kavita#mehmaan per kavita#hasya kavita#bin bulaye mehmaan kavita rambriksh#ambedkarnagar Poetry 58689 0 Hindi :: हिंदी
कविता-बिन बुलाए मेहमान बड़े ठाठ से दावत खाने, पहुंचे गंगू भाई तन पर शूट बूट पांव में,टांग गले में टाई कभी घराती कभी बराती,ठन बन दौड़ मचाते ठाट बाट से कौन पूछता,क्यों किसको बतलाते? बिन न्यौता के बिना बुलाए,खाना खाने जाते गांव जवार एक ना छूटे, मस्ती मौज मनाते घर के समझे यह बराती,या दुल्हे के साथी दूल्हा समझा होगा कोई, सज्जन पुरुष घराती चहल पहल थी भीड़भाड़ का, बिजली चमक उजाला डी जे पर कुछ झूम रहे थे,पी पी मदिरा प्याला दूल्हा गाड़ी आगे आगे,सजी बराती पीछे दगता गोला आसमान में, आड़े सीधे तिरछे द्वारचार पर अगुआई में, चलते सबसे आगे पहने माला शूट बूट में,जैसे समधी लागे खुला बफर खाना पर टूटे,टहल टहल खुब खाएं लेकर खटिया गद्दा बैठे,सोये पांव फैलाये हुआ सवेरा चंपत हो गये, कहीं नजर ना आएं देख कोई यह जान न पाए, आये बिना बुलाए अब बिदाई की बारी थी, होने लगी तैयारी होने लगा खुसुर फुसुर तब,अन्दर अन्दर भारी खोज रहे सब कोनी कोना,बच्चे बूढ़े नारी क्या खोया है खोज रहे क्या,इतना अफरा तफरी कौन बताता किसे पता था,पैसा था या मुदरी उधर बिदाई की तैयारी,आफत इधर पड़ी है हार गले का गायब है अब,दुल्हन सजी खड़ी है घर आगन का कोना कोना, कहीं तनिक ना बाकी मिल ना पाया हार गले का, किसने की चालाकी होने लगा तब एक एक से,सबसे पूछाताछी होने लगा तलाशी तब भी, हार मिला ना साक्षी तभी समझ में आया सबके, देखो विडियो ग्राफी पहचानो है कौन धुर्त वह, घर बरात या साथी कौन बराती कौन धराती,आया जो धुस अन्दर इतना हिम्मत हार चुराया,बनके आया बंदर कोई सगा कोई सम्बंधी,सबको सब पहचानें गंगू ही बस एक अपरिचित, सबसे थे अन्जाने हुई रिपोर्ट तब थाना आया,गंगू पकड़ कर आये हुई कुटाई खूब धुनाई,जोर जोर चिल्लाए कहने लगे कि मैं हूं गंगू, बिना बुलाए आया जा जा कर मैं हर बरात में, खाना खाकर आया तभी दौड़ती आयी लड़की,हार हाथ में लेकर भूल गयी थी हार भूल से,खुश थी उसको पाकर बिन बुलाए मत कहीं जाना,न होता सम्मान है जी ले अपना दो पल जीवन, दो पल ही महान है। रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर।
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...