Kirti singh 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक बेटी की जब हो जाती है विदाई 89086 0 Hindi :: हिंदी
जब लड़की की विदाई हो जाती है तब एक वक्त ऐसा भी आता है कि उसके घर का गेट दुनिया भर के लिए खुला रहता है लेकिन उसके लिए खुला रहकर भी बंद रहता है उसके घर की हर एक वस्तु पराई हो जाती है वह खुद के घर में ही अनजान शख्स बन जाती है जिस आंगन में दौड़ी खेली होती है उस आंगन में भी आने से पहले लेनी पड़ती है इजाजत भाई की. उसे याद आती है ससुराल में अपने घर के आंगन गलियां और वह बचपन के साथी जहां वह पढ़ा करती थी छत पर बैठ पेड़ों के छांव सब छीन लिया जाता है उसका बस याद रह जाता है उसका यादों की गलियों में वह हर एक संभव कोशिश करती भाई बुला ले उसके घर उसको लेकिन अपने सम्मान की खातिर रुक जाती है वह ससुराल की दहलीज पर मन तड़पता है अपने घर को लेकर, बस आंखों में लेकर पानी बैठ जाती है किसी कोने पर.kirti singh