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बदले की आग

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Ambedkar Nagar Kavita #badle ki aag per kavita Rambriksh Ambedkar Nagar #ambedkar Nagar poetry 71752 0 Hindi :: हिंदी

जब बदले की आग जलेगी
सबका सत्यानाश करेगी 
सुलग सुलग कर तन मन को भी
मूल समूल विनाश करेगी 

बदले की आग लगी कौरव में
शान मान गरिमा गौरव में
दुश्मन बने पराये अपने
अपनों का ही नाश करेगी,
जब बदले की आग जलेगी। 

 उठती लपक भयंकर ज्वाला
लंका लाल गगन था काला
कौन बचेगा छल बलशाली?
यदि नफरत की सांस चलेगी,
जब बदले की आग जलेगी। 

ईर्ष्या द्वेष जलन की अग्नि
तिल तिल जला रही दिन रजनी
सुख सुकून आनन्द मिटाकर 
जीवन यूं बर्बाद करेगी 
जब बदले की आग जलेगी। 

प्रतिशोध का आदि अंत है
कुल पीढ़ी दर तक कलंक है 
बदला बंद नही गर होगा
मानवता तब कहां बचेगी ?
जब बदले की आग जलेगी। 

बदला के बदले खुद बदलो
बदनाम नहीं बद को बदलो
बदला की लपटों में सुंदर
बदला सा संगीत बजेगी,
जब बदले की आग जलेगी





रचनाकार -रामबृक्ष अम्बेडकरनगर 

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