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बचपन तुझे बुलाऊं

Kalindri pal 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 8665 0 Hindi :: हिंदी

आजा बचपन तुझे बतलाऊं ;              जवानी से मैं पछताऊं।                      छोटे बच्चों के संग मे मैं ,                   चाहें जहां घूम- फिर आऊं।
कोई भी मुझको कुछ न कहता,
चाहे जिसको जो कह  जाऊं।
चाहें झगड़ा करूं किसी से, 
जितनी भी गलती कर जाऊं।
कहना मानूं या ना मानूं , 
फिर भी मै तो डांट न खाऊं । 
माँ-बापू नाराज न होवे, 
चाहें जितना  उन्हें सताऊँ।
बडे भाई  से झगड़ा कर दूॅ ,
माँ-बापू   डांट  खिलाऊं।
जवानी  में सब उल्टा  है,
जवानी में मैं घबराऊं।
आजा बचपन तुझे बुलाऊं;
जवानी में  मैं  पछताऊं।



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