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औरत की पहचान

Chanchal chauhan 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक औरत की पहचान 39800 0 Hindi :: हिंदी

औरत कोई खिलौना नहीं,
समझो उसके जज्वातो को,
औरत कोई वस्तु नहीं,
ना करो खिबाड़ उसकी भावनाओं से,
औरत जैसा कोई महान नहीं,
कितने कष्ट उठाती हैं,
कितनी पीड़ा सहती हैं,
 अपने बच्चों को पालने में,
अपने सीने में छुपाती हैं हर दर्द ग़म को,
औरत ममता की देवी हैं,
जब औरत के आत्मसम्मान
की हो बात तो झांसी की रानी हैं,
लड़ जायेगी मिट जाएगी 
आंच ना आने देगी अपनों पर,
आग का दरिया पार कर डालेगी,
ख़ामोश रहने वाली चिंगारी हैं
औरत,
जब जलती हैं आग लगा डालेगी।
इतिहास के पन्नों में अपनी पहचान करा डालेगी।

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