Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

"अपना रूप हमेशा दिखाती है प्रकृती"

Shreyansh kumar jain 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 36117 0 Hindi :: हिंदी

अपना रूप हमेशा दिखाती है प्रकृती, 
कभी धूप तो कभी छाँव का अहसास कराती है प्रकृति, 
हर मौसम में भी जीवन जीना सिखाती है प्रकृति,
हमारी भूख-प्यास भी मिटाती है प्रकृति।
कभी बारिश तो कभी चांदनी की रोशनी दिखाती है प्रकृती, 
समय-समय पर अपने करतब दिखाती है प्रकृती, 
इंसान को इंसान से भी मिलवाती है प्रकृती,
अपना रूप हमेशा दिखाती है प्रकृती ।
प्यार, मोहब्बत से सबको जीवन जीना सिखाती है प्रकृति, 
नफरत का बीज अपने ऊपर नहीं सह पाती है प्रकृती,
इंसान की इच्छाओं ओर सितम से बहुत नाराज हैं प्रकृति, 
तभी ही तो कही भूकम्प और सुनामी का दर्शय दिखाती है प्रकृती, 
अपना रूप हमेशा दिखाती है प्रकृती ।
अगर ना हो सितम प्रकृती पर तो अपना प्यारा रूप भी दिखाती है प्रकृती, 
कई वर्षों से फैल रही इंसान की गंदगी को साफ करके गंगा-यमुना मे भी स्वच्छ जल बहाती है प्रकृती, 
इंसान के अगर सितम कुछ थोडे कम हो तो जालंधर से हिमालय का अपना सुंदर स्वरूप दिखाती है प्रकृती, 
अपना रूप हमेशा दिखाती है प्रकृती ।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: