अन्त हुआ एक युग का
अन्त हुआ एक युग का
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अन्त हुआ एक युग का,
जैसे ही अनात्म हुई सुश्री लता।
रहे गयी बस यादों में हम सबके ।
गीतों में अमर हुई स्वर कोकिला ।।
अन्त हुआ एक युग का,
जैसे ही अनात्म हुई सुश्री लता ।।
लाखो दिलों की थी वो धड़कन,
कितने ही कर्णप्रिय गीत उन्होंने दिया
।
सुरो से जिनकी बहती थी अमृत रस धारा,
थी सागर सी गहराईयॉ ।।
अन्त हुआ एक युग का,
जैसे ही अनात्म हुई सुश्री लता ।
रहे गयी बस यादों में हम सबके,
गीतों में अमर हुई स्वर कोकिला ।।
अन्त हुआ एक युग का,
जैसे ही अनात्म हुई सुश्री लता ।
सादगी भरा था उनका जीवन,
विभिन्न कठिनाईयों का सामना उन्होंने
किया ।
गायकी जो मुर्दों में भी जान फूक दे,
ऐसी थी '' सुर'सम्राज्ञी" सुश्री लता ।।
अन्त हुआ एक युग का,
जैसे ही अनात्म हुई सुश्री लता ।
आवाज सहस्राब्दी, सुर सम्राज्ञी
और उपाधी मिला स्वर कोकिला ।
सम्मान भी जिसे पाकर हो जाता था
सम्मानित,
ऐसी थी वो देश का गौरव ''भारत रत्न"
सुश्री लता ।।
अन्त हुआ एक युग का,
जैसे ही अनात्म हुई सुश्री लता ।
रहे गयी बस यादों में हम सबके,
गीतों में अमर हुई स्वर कोकिला ।।
अन्त हुआ एक युग का ।
🙏धन्यवाद 🙏
संतोष कुमार
बरगोरिया
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(साधारण जनमानस)