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अजूबा ताजमहल

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक #अजूबा ताजमहल कविता#ताजमहल पर कविता#ताजमहल पर रचनाकार#ईश्वर पर कविता#ईश्वर महान है#धार्मिक कविता#कविता रामबृक्ष अम्बेडकरनगर#कविता रामबृक्ष अजूबा ताजमहल#Ambedkarnagar poetry#rb poetry# 27601 0 Hindi :: हिंदी

अचंभा क्या है? ताजमहल का 
बस तरासे  चूना पत्थर ?
शायद नहीं !
किया अजूबा इसे विश्व में ,
भाव छिपा क्या इसके अंदर ?
देखा जब दूर से उस मीनार को ,
चूमते हुए गगन ,
हो रहा था मानो अवनि अंबर के चमन का मिलन ,
पड़ा दिखाई गोल गुंबद,
लिए विलक्षण रूप धरा का ,
फिर क्या ?
ताजमहल था सजग सामने,
जैसे उड़ता बादल धवल ,
दिखता जिसमें दु:ख- सुख का जग ,
भाव जानने का मन था विकल,
ध्यान आया वोह!
क्षितिज मीनार धरा सा गुंबद ,
लिए सुंदरता ताज जगत का ,
टिका हुआ जिस अदृश्य नीव पर,
वह कितना मजबूत मनोहर ,
अगम अगोचर नीव है ईश्वर ,
शान बना है प्यार जगत का ,
यही अचंभा बना ताज का ,
ना तरासे चूना पत्थर     ||

                              रचनाकार-रामबृक्ष, अम्बेडकरनगर

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