Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य अधंगे प्रयाश से 60765 0 Hindi :: हिंदी
बक्त आज हैरान हैं इंसान के करस्तान से पल पल बदल रहा समय के रफ़्तार से काल भी सर्मसार हैं आदमी के काम से माँ बाप मजबूर हैं लाचार हैं बुजुर्ग हैं बेबस हैं तड़प रहे हैं भूख से जो रोटियां कमा सके बो पड़ा हैं प्रदेश में कर रहा यै आशियाँ बना रहा नया आशिया माँ बाप के जज्बात से आज इंसानियत विवश इंसान के अधूरे अधंगे प्रयाश से जो रोटियां पका सके बो बहुएँ अब हैं कहा जो चार धाम करा सके बो पुत्र भी अब है काहा