Sudha Chaudhary 17 Aug 2023 कविताएँ अन्य #विरह गीत# 4770 0 Hindi :: हिंदी
मैं क्या सोचो तुम सुन पाओ मैं क्या रोकूं तुम चल पाओ। मेरा अंधकार पुराना है जीने का मतलब नाना है सौ बार कहो हर बार कहूं मैं क्या खोऊं जो तुम पाओ। रागों का राग तुम ही जानो कविता में छन्द तुम ही मानो मेघ बनूं बरसूं जहां तहां मैं क्या बरसूं तुम भीग ना पाओ। हां वही पुराना दर्पण मुंह साफ नहीं दिखता जिसमें काली छाया परछाई साथ चलती रहती हरदम जिसमें मेरे निपुण पराजय से भी जी तू हारू क्यों हरदम मैं क्या हारू तुम जीत ना पाओ। सुधा चौधरी बस्ती