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आखेरी पडाव

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य आखेरी पडाव 18813 0 Hindi :: हिंदी

रुप बदल जायेंगे 
रंग बदल जाएगा
तुम बदल जाओगी 
तन बदल जायेगा
उम्र ढ़ाल जायेगी 
चेहरा बदल जायेगा
तब भी तुम पुकारना मुझे 
सामने ही पओगे

जब आख थकने लगे 
जब साँस छलने लगे
जब घड़कन डाराने लगे 
जब बदन थ्रराने लगे
जब पैर डग मगा ने लगे 
जब यम दिखने लगे
जब वक़्त के आखेरी पडाव हो 
तब पुकारना मुझे

जब सब अपने छोड दे 
अगनी को सौप दे
तब पुकरना मुझे 
साथ खडे पाओगे
जब न बचा हो कोई निशानी  
तेरे अस्तित्व का
जब राख बन उड़ने लगो 
हवा मे तैरने लगो
तब पुकारना 
उस राख में मुझे ही  
सम्मिलित पाओगे
मैं अब भी और तब भी  
साँस के अंतिम छान तक
मौत मिटां न दे 
अगनि जला न दे 
तब तक मुझे पाओगे

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