आइए महसूस करिए
आइए महसूस करिए,
जिंदगी के ताप को,
शाप को अभिशाप को,
समाज के प्रतिकार को,
जी रहें हैं द्वंद्व को,
प्रतिद्वंद के एहसास को,
अपने ही प्रतिद्वंदी को,
हम दोस्त कहते हैं यहाँ,
इतनी मानवता है हममें,
हम साथ रहते हैं यहाँ,
हम छलवा कहते हैं यहाँ,
सरकार की इस नीति को,
होश में आहोश में हम,
फिर भी सम्हले हैं हुए,
जी रहे है छंद के,
आनंद के मदहोश को,
पकड़े हुए हैं फिर भी हम,
सरकार की इस कुनीति को,
सुधरी है न सरकारें अबतक,
सुधरेगा न सिस्टम यहाँ,
विकसित हुआ न देश अबतक,
विकासशील ही ये रह जायेगा,
सपनो का भारत लगता है,
अब सपना ही रह जायेगा,
आइए महसूस करिए,
जिंदगी के ताप को,
द्वंद्व को प्रतिद्वंद्व को,
बेगारी के इस श्रॉप को,
युवा आबादी यहाँ,
बेगारी के दलदल मे है,
कौन अब उँगली उठाये,
कौन मुह काला करे,
सवाल सत्ता से करे जो,
पाकिस्तान वो चलता बने,
देश भक्त हो करके भी,
देश द्रोही का धब्बा लगे,
आइए महसूस करिए,
जिंदगी के ताप को,
शाप को अभिशाप को,
समाज के प्रतिकार को ॥
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सौरभ सोनकर✍️✍️
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