Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक आधे- अधूरे 34536 0 Hindi :: हिंदी
कुछ भी महत्त्व नहीं है। १ बिना तीर कमान का, बिना गुण इंसान का। बिना मौत जान का, बिना भक्त भगवान् का। बिना तृप्ति तर्पण का, बिना मूरत के दर्पण का। बिना धन कृपण का, बिना भाव अर्पण का। कुछ भी महत्त्व नहीं है, कुछ भी महत्त्व नहीं है। २ बिना तक़दीर नर का, बिना शान सर का। बिना लुगाई घर का, बिना कमाई वर का। बिना अधिकार पद का, बिना माने हद का। बिना उधार नगद का, बिना मांग मदद का। कुछ भी महत्त्व नहीं है, कुछ भी महत्त्व नहीं है। ३ बिना मतलब आंट का, बिना प्रभाव डांट का। बिना हाड़े बाट का, बिना मिले पाट का। बिना तलवार म्यान का, बिना एकाग्र ध्यान का। बिना उतारे ज्ञान का, बिना मजिस्ट्रेट बयान का। कुछ भी महत्त्व नहीं है, कुछ भी महत्त्व नहीं है। ४ बिना नीर दरिया का, अपनों बिना दुनिया का। बिना पैंदे की लुटिया का, बिना प्यार हिया का। बिना भरे कोश का, बिना ज़ोर रोष का। बिना जवानी जोश का, बिना कविता संतोष का। कुछ भी महत्त्व नहीं है, कुछ भी महत्त्व नहीं है।