Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य ये ऋ सुन तो 50521 0 Hindi :: हिंदी
ये ऋ सुन तो दिल में कुछ तो होता हैं तुझे न देखु तो नैना बिचलित होता हैं ये ऋ सुन तो मुझ मे तू ही रहती हैं नहीं तो क्यों होता बेचैन मैं इतना जितना तू सबरति हैं ये ऋ सुन तो क्यों तू रूठी रहती हैं बात बात में लड़ती बिन बात झगड़ती हैं ये ऋ सुन तो तू बन जा न साथी मेरी जैसे दुख में दुखन और जख्म में दवा जैसी ये ऋ सुन तो