SANTOSH KUMAR BARGORIA 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक इस कविता के माध्यम से कवि अपने यह बताना चाहता है कि भले ही लोग कहते हो की ये दुनियां विश्वास के काविल नहीं पर सच्चाई यह है की आज भी ये दुनियां सिर्फ और सिर्फ इसी विश्वास पर टिका हुआ है । 58835 0 Hindi :: हिंदी
हम भले ही किसी को ध्येय की दृष्टि से देखे, उस पर विश्वास करे या ना करे हम भले ही यह कहे की ये दुनियां विश्वास के काविल नहीं पर इस बात को कोई नहीं झुठला सकता की ये दुनियां आज भी सिर्फ और सिर्फ इसी विश्वास पर टिकी है । हम कौन है, हमारी पहेचान क्या है ये रिश्ते, ये नाते ये दुनियां, ये दुनियादारी सबकुछ इसी विश्वास पर तो टिका है । हम भले ही यह कहे की हमें कल की चिंता छोड़ आज में जीना चाहिए पर सच्चाई यह है की हम अपने उसी कल को बेहतर बनाने के लिए धन संचय से लेकर संतान उत्पत्ति तक करते हैं ताकी हमारा आने वाला कल बेहतर हो और ये सब कुछ सिर्फ और सिर्फ बस एक विश्वास पर ही पर ही तो टिका है । आज के इस दौर में जहॉ लोग आए दिन ठगी के शिकार हो रहे हैं ऐसे में नेटबेंकिग , गूगल पे, मोबाइल पे, अॉनलाइन सॉपिंग करना जो यह जताने के लिए काफी है की आज भी ये दुनियां सिर्फ और सिर्फ इसी विश्वास पर टिका है । 🙏धन्यवाद 🙏 संतोष कुमार बरगोरिया -------------------------------- (साधारण जनमानस)
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