Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य मन चाहता हे 31838 0 Hindi :: हिंदी
मन चाहता है | चाँद पर बेठकर देखूँ आसमान में बिखरे तारो को अपने हातों से समेट कर देखूँ , मन चाहता है | बहते आशुओं से आसमान के बादलो को भिगोकर देखूँ , मन चाहता है | सूरज की रोशनी को हवा से बुझाकर देखूँ , इसकी धूप को रूठे अपनों से मिलाकर देखूँ , मन चाहता है | नंगे पाँव चाँद पर चढकर देखूँ , चाँद की चाँदनी को अंधेरों में छुपाकर देखूँ , मन चाहता है | तारों की छाओं में बेठकर एक कविता में भी लिखकर देखूँ , मन चाहता है |