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राहुल गर्ग 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Google 9415 0 Hindi :: हिंदी

वादे जितने करता था सारे आज निभाता हूँ। 
तब जाकर थोड़ा सम्मान, मैं अर्द्धांगिनी से पाता हूँ।।  

सात वचन लिए थे हमने सत्तर जैसे लगते है 
कभी सफाई कभी दवाई कभी कपड़े धोने पड़ते है 
सारी गलती उसकी होती, फिर भी मैं मनाता हूँ। 
तब जाकर थोड़ा सम्मान,मैं अर्द्धांगिनी से पाता हूँ।।  

कई घंटों तक सजना उसका, मेरे लिए ही संवरती है 
रंग पूछकर सारे मुझसे,अपनी पसंद ही पहनती है 
कैसी भी बातें हो उसकी ,राज़ी सब में होता हूँ ।
तब जाकर थोड़ा सम्मान ,मैं अर्द्धांगिनी से पाता हूँ।।  

चाँद तोड़ कर ला दूंगा मैं ऐसे वादे करता था 
प्यार किया मजनू लैला सा,शादी से बस बचता था 
तारों की जब माँग वो करती, मुट्ठी में जुगनू लाता हूँ ।
तब जाकर थोड़ा सम्मान, मैं अर्द्धांगिनी से पाता हूँ।। 

दर्जन साड़ी रख बोले वो चैन जरा लगा दो ना तुम
सब कपड़े तो पहन चुकी हूं एक नया दिलवा दो ना तुम 
खरीद सकूं एक सुदंर साड़ी इतना जरूर कमाता हूँ।
तब जाकर थोड़ा सम्मान मैं अर्द्धांगिनी से पाता हूँ ।। 

पत्नी है अब वो मेरी ,सदा ख्याल यह रखता हूँ 
बाहर सबको भाषण देकर ,घर में उसकी सुनता हूँ 
नोक झोंक जब चलने लगती,तब स्वयं ही हार मानता हूँ।
तब जाकर थोड़ा सम्मान, मैं अर्द्धांगिनी से पाता हूँ ।। 

वादे जितने करता था सारे आज निभाता हूँ। 
तब जाकर थोड़ा सम्मान मैं अर्द्धांगिनी से पाता हूँ ।।

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