Danendra 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 23270 0 Hindi :: हिंदी
बिजली संविदा कर्मी रिस्क की कीमत को सलाम करता हूं, मै । और जितने संविदा वीर शहीदो भाइयों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, मै। 24घंटे 7 दिन ,दिन - रात लगातार सेवा में तत्पर रहता हूं, मै। घर परिवार से दूर जान जोखिम में डालकर गांव -गांव ,गली -गली बिजली के धार पहुंचाने का काम करता हूं ,मै। महगाई के इस दौर में,अल्प वेतन से परिवार का खर्च ,पालन,पोषण , अतिमुस्किल से करता हूं, मै। हर मौसम में बार बार लगातार घरों तक बिजली पहुंचाने का काम करता हूं, मै। खुद अधेरा में रहकर, दूसरो के घरों को प्रकाशवान करता हूं, मै। जितने बिजली संविदा कर्मी शोशित्त,पीड़ित, दलित, देख खुद की आंसुओ का धारा का गान करता हूं, मै। और दुस्स्ट, बेईमान,नीच, घूसखोर, लापरवाह, अधिकारियों, की जुता,चप्पल,से स्वागत करता हूं, मै। बिजली सविदा कर्मी मेरा गवाह रहे , कविता लिखने का काम करता हूं, मै।