Chinta netam " mind " 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 34126 0 Hindi :: हिंदी
घर की कुछ/सारी , जिम्मेदारियों को संभालता , करता सारी व्यवस्था जीवन निर्वाह का ...! चाहे वो फकीरा हो या हो वो लखपतिया ...! चौके के एक कोने में दुपके बैठा देखता बड़े ही तसल्ली से अपने-अपनों को रात का खाना खाते हुए एक साथ बैठे हुए ...! छुट्टी के दिन , घर से बाहर निकलते ही कहां जा रहे हो ...? बड़े ही सहजता से समझ सकते हो , कौन हो सकती है...? और तो और साथ में ये लेते आना , वो लेते आना ...! छिपा होता है , उसके अंदर एक डॉन अपनी बेटी के लिए बनता है वो , अपने बेटे का लंगोटिया ...! इन बातों से बेखबर , घरवाले समझते उसको कोल्हू का बैल , गधा और जाने क्या-क्या ...! दुनिया में दुनियादारी के सिक्के चलाने , कैसे-कैसे रूप धरे , बनता है वो बहिरूपिया ...! आम चूसता हुआ वह , उन सबको लगता , पिता तो आज-कल के होते हैं परम चुतिया ...!