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चलन

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य चलन 94401 4 4.5 Hindi :: हिंदी

चलन
साल बदला सदी बदला
बदल गऎ हम और आप
नही बदला चाँद सुरज
खुश्बु रंग आश्मान 
धर्म बदला मजहब बदला
बदल गया संसार
नही बदला सुर्य के किरणे 
चाँद है अपने स्थान
साल बदला सदी बदला
बदल गऎ हम और आप

अम्बर झुक गया धरती फट गई
कहीं सुनामी कहीं अकाल 
फिदरत बदला इंसा बदला
बदल गऎ कल और आज
छोड़ दे इंशा चलन अपनी
विनाश काल है पास
साल बदला सदी बदला
बदल गऎ हम और आप

प्रेम के मीठी बोल में अमृत सा मिठास
छोड़ क्रोध, लोभ, अहम, विकार
अंत काल जब  आऎगा
फिर क्या होगा पास 
साल बदला सदी बदला
बदल गऎ हम  और  आप

Comments & Reviews

ROHIT YADAV
ROHIT YADAV Best

1 year ago

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Sahity Live
Sahity Live

1 year ago

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Sahity Live
Sahity Live Nice

1 year ago

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Shveta kaithwas
Shveta kaithwas Behad khubsurat

1 year ago

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