akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक अन्तर्राष्ट्रीय बेटी दिवस पर समाज की सभी बेटियों को सादर समर्पित 82994 0 Hindi :: हिंदी
*पुण्य का परिणाम है* *बेटी* पिता की आत्मा मां का अभिमान होती है बेटी पूर्व जन्मों में किए पुण्य का परिणाम होती है बेटी।। मेरे जीवन का वो सुनहरा दिन था जब मेरे घर पैदा हुईं प्यारी सलोनी बेटी।। पहली बार जब उसे गोदी में उठाया मैंने अजीब प्यार और वात्सल्य पाया मैंने।। देखकर उसकी छवि लगा कि मां जैसी है कभी लगा कि नहीं मेरी प्रति आई है।। उसका बचपना मुझे जब भी याद आता है मेरे होंठों पर खुशी मन प्रफुल्लित हो जाता है।। ठुमक ठुमक कर घर में चलना और गिरना उसका मेरी गोदी में आकर प्यार जताना उसका। याद आती है उसकी प्यारी तोतली बोली जैसे कि प्रकृति ने शहद में मिश्री घोली।। मन में आता है कि ये नन्ही परी छोटी ही रहती अपनी नटखट शरारतें घर में यूं ही करती रहती।। ईश्वर की इस कृति को समय के साथ चलना है बड़ा होकर स्वयं का प्यारा जीवन भी संजोना है।। पहली बार नौकरी के लिए जब बेटी को छोड़ा था कलेजा फट रहा था और मन रो रहा था।। आंसू थे कि थमने का नाम नहीं ले रहे थे बेटी से मुंह छुपाकर हम दोनों रो रहे थे।। हमसे दूर रहकर भी हमारे पास ही है बेटी सुबह और शाम हमारी ख़बर लेती है प्यारी बेटी।। परिवार की अमूल्य धरोहर होती है बेटी शिक्षा संस्कार प्यार की मूर्ति होती है बेटी। मां का गहना पिता का अभिमान होती है बेटी हमारे घर की शान और सुबह शाम होती है बेटी।। धन पराया नहीं धन की खान होती है बेटी दो -दो कुलों की शान और सम्मान होती है बेटी।। परिवार में बेटी के आने से क्यों निराश होते हो सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा का वास होती है बेटी ।। तुम्हें जिसने जन्म दिया वो भी है किसी की बेटी घर में बहू बनकर भी आती है किसी की बेटी ।। 'न' होंगीं बेटियां तो बहू कहां से लाओगे बिना बहू के कुल को कैसे बढ़ाओगे।। बिना बहू के बेटे सूखे दरख़्त ही रह जायेंगे 'न' होगी नई पौध ठूंठ ही रह जायेंगे। खुशी समाज और सुखद जीवन पाना है घर -घर हमें अब बेटी को बचाना है ।। रचयिता -अखिलेश श्रीवास्तव जबलपुर मध्यप्रदेश
I am Advocate at jabalpur Madhaya Pradesh. I am interested in sahity and culture and also writing k...