SANTOSH KUMAR BARGORIA 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक एक लड़की का अपने से आग्रह की हे पिताजी मैं कोई लकड़ी का खिलौना नहीं हूं जिसे आप किसी के भी हांथ में सौप दे मैं आपकी बेटी हूं आपकी जान हूं इसलिए भले ही मेरे शरीर का रंग दबा साँवला हो पर मुझे किसी दहेज लोभी के हाथ आप मत सौपना भले ही मेरी सादी किसी असहाय गरीब लड़के से कर देना । 42855 0 Hindi :: हिंदी
मैं नहीं काठ की कोई पुतली -------------------------------------- मैं नहीं काठ की कोई पुतली, ना सौप किसी गैर के हाथ मुझे । मोहे सात फेरो में बांधने से पहले बाबुल, जरा मेरी अपनी रजा भी जान तो ले ।। बचपन से लेकर अबतक बाबुल , तूने पूरे किये हर अरमान मेरे । जीवन के इस अहम फैसले पर काश, उत्कंठा अपनी भी जान लेते ।। फिक्र भले है तुझको मेरी बाबुल, पर अभी भरने दे उड़ान मोही । पढ़ लिखकर पहले मुझे बन जाने दे काबिल, फिर रच देना व्याह मेरी ।। दाग ना लगने दूंगी अपने दामन पर, ना झुकाने दूंगी मैं कांध तेरी । भले मिटाना पड़ जाए बाबुल, अपनी हस्ती अपने हाथ मोही ।। रंग दबा साँवला भले मेरा, भले उम्र मेरी ढलान चली । पर मुझे ना सौपना किसी दहेज लोभी को बाबुल , चाहे व्याह देना किसी गरीब बुर्बा के साथ मोही ।। 🙏 धन्यवाद 🙏 संतोष कुमार बरगोरिया --------------------------------- (साधारण जनमानस)
I am Santosh kumar Bargoria s/o Sri Sewalal Bargoria at 26, Noor Mahammad Munshi lane Howrah -71110...