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* मां *

akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मनुष्य जीवन की सबसे अमूल्य निधि है मां 39276 0 Hindi :: हिंदी

मां दिवस पर सभी माताओं को
          सादर प्रणाम 
      
             * मां *


मां शब्द के एक अक्षर में
प्रेम अनंत समाया है।
ईश्वर की इस अनुपम कृति को
कोई समझ न पाया है ।

नौ महीने गर्भ में रखकर 
अपना खून पिलाया है ।
इस शरीर पर मत घमंड कर
ये मां की दी हुई काया है ।

मां ने अपना दूध पिलाकर
हमें अम्रत पान कराया है ।
मां के त्याग तपस्या का ऋण
इंसा चुका न पाया है।

मां की लोरी को सुनकर 
आनंद नींद का आया है ।
जीवन में ऐसा सुकून फिर
कभी नहीं मिल पाया है ।

मां की ममता की गहराई
नाप नहीं कोई पाया है।
मां के आंचल की छाया में
सुख आनंद ही पाया है ।


प्रथम गुरु बनकर मां ने 
अपना कर्तव्य निभाया है।
संस्कारों की शिक्षा देकर
अच्छा इंसान बनाया है ।

अंतिम सांस तक माता ने
संकट से हमें बचाया है ।
निर्मोही संतान हो फिर भी
मां ने प्यार लुटाया है ।

खुशनसीब हैं वो संतानें
जिन पर मां की छाया है ।
ईश्वर के सानिध्य को उसने
मां के रूप में पाया है ।

मां शब्द के एक अक्षर में......

रचियता  --अखिलेश श्रीवास्तव एडवोकेट जबलपुर

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