akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक ये कविता जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भगवान कृष्ण को समर्पित है 75025 0 Hindi :: हिंदी
*हे!कृष्ण तुम्हें आना होगा * अब हाथ जोड़कर विनती है हे ! कृष्ण तुम्हें आना होगा अपनी नीति और गीता का उपदेश तुम्हें दुहराना होगा। कंस जैसे राक्षसों का अब साम्राज्य यहां पर पनप रहा जहां धर्म की पूजा होती है वहां विघ्न ये पैदा करते है अधर्मी क्रूर दानवों का संहार तुम्हें करना होगा अब धर्म की रक्षा करने को हे! कृष्ण तुम्हें आना होगा। दुर्योधन जैसा आतंक भारत में फिर से पनप रहा दुर्योधन अपनी जंघा पर नित नई द्रौपदी बिठा रहा द्रौपदी का करके चीरहरण दुशासन खुशियों से झूम रहा ऐसे दुर्योधन- दुशासनों का वध करना बहुत जरूरी है प्रजा को अब भय से मुक्ति दिलाना बहुत जरूरी है अब हाथ जोड़कर विनती है हे !कृष्ण तुम्हें आना होगा। धर्मी पांडवों की झोपड़ी में यहां आग लगाई जाती है नित नए लाक्षाग्रह जलाकर ये प्रजा सतायी जाती है ऐसे ध्रृतराष्ट्र के पुत्रों का विध्वंस तुम्हें करना होगा अब हाथ जोड़कर विनती है हे !कृष्ण तुम्हें आना होगा। ध्रृतराष्ट्र जैसे पुत्र प्रेमी नित नये समाज में फैल रहे पुत्रों को सत्ता मिल जाए दिन रात ये सपना देख रहे ध्रृतराष्ट्रों की इस इच्छा का विनाश तुम्हें करना होगा अब हाथ जोड़कर विनती है हे !कृष्ण तुम्हें आना होगा। घर घर में महाभारत का अब युद्ध यहां पर होता है पैसा ज़मीन और रिश्तों का प्रतिदिन बंटवारा होता है शकुनी मामा सी चालों का घर घर में स्वागत होता है भारत में शांति लाने को हे !कृष्ण तुम्हें आना होगा। बंशी की प्यारी धुन कान्हा अब नहीं सुनाई देती है तेरी मनमोहक छवि कान्हा अब नहीं दिखाई देती है फिर से अपनी लीला करने हे !कृष्ण तुम्हें आना होगा। अब हाथ जोड़कर विनती है हे !कृष्ण तुम्हें आना होगा... रचयिता -अखिलेश श्रीवास्तव जबलपुर मध्यप्रदेश
I am Advocate at jabalpur Madhaya Pradesh. I am interested in sahity and culture and also writing k...