Vishnu shankar tripathi 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Vishnu shankar tripathi kavita gaoun ke pradhi wystha par kavita 43194 0 Hindi :: हिंदी
प्रकृति किलेबंदी नदी नहरो से वो सिंह द्वार है मैं यहीं का हूं नहीं शिखरो से है अभिनंदन करने दो शेर खड़े कोयल गाती स्वागत गीत और नृत्य में मदहोश हुई धान रोपत बाला भी है ये पूर्वजों की जमा धरोहर है करना सम्मान हमें बड़े बुजुर्गों से घंटों बतलाते अपनी कथाओं में बहुत कुछ सीखला जाते है हम जमीन पर तभी दिखे आसमान हमें हां करना आगाज हमें कभी-कभी दिख जाएं स्वान यहां पर मत समझो वफादार यहां हजारों लोगों की आस यहां पर काम कहां अब आगाज यहां सड़क नाली आवास शौचालय का काम यहां पर सब मौन है यहां अब आगाज यहां संघर्ष करते हम सुर वीरों से निम्न स्तर प्यादों से क्या बात करें बदलाव प्रकृति की नियति है अब आगाज यहां लेखक विष्णु शंकर त्रिपाठी सोनारी रामगंज अमेठी उत्तर प्रदेश #vishnushankartripathi #विष्णुशंकरत्रिपाठी