Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

जीवन- संध्या

Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक जीवन- संध्या 10170 0 Hindi :: हिंदी

सही- गलत, गर्हित , सहल हो लिए साथ।
मूसलधार हो रही, छल-छंद की बरसात।
कठिनाइयां कह रही, तू डाल मैं पात।
अवसर तुझसे कह रहे, नाप तेरी औक़ात।
छोड़ दामन, गिला- शिकवा लगा लगी का।
पल-पल आगे बढ़ रहा, कारवां ज़िंदगी का।
रब रहम है जीवन, खुल के जी लो।
गरल को सरल, कर पी लो।
सोच के सांचे को, सरल सोच से सी लो।
कर्म मथानी से मथ, मट्ठा, मक्खन सब पी लो।
लो आनंद, गर्व, शर्मिंदगी का।
पल-पल आगे बढ़ रहा, कारवां ज़िंदगी का।
गठरी- मठरी बांध कारवां, बड़ा अस्ताचल ओर।
लमहा- लमहा लपक रहा, पगडंडी की छोर।
कर्म गर्द से क्षितिज लाली, धूमिल हुई घनघोर।
कावा करवां दे गया, लुप्त चंद्रा में शोर।
परछा जिंदगी -बंदगी का।
पल-पल आगे बढ़ रहा, कारवां ज़िंदगी का।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: