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Ranjana sharma 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Google 8447 0 Hindi :: हिंदी

समीरा अपने बैग को संभालते हुए बहुत ही तेज़ी से बस स्टॉप की तरफ आगे बढ़ रही थी ,कुछ देर बाद वह बस स्टॉप पर पहुंच जाती और बेसब्री से बस का इंतजार करने लगती ।वहीं पास में कुछ तीन - चार लड़के बैठकर उसे गंदा - गंदा comment देने लगते ।वहां एक - दो बुजुर्ग भी बैठें रहते पर चुप रहते।तभी समीरा का फोन बजने लगता वह फोन उठाकर बोलती " हां,मम्मी मैं आ ही रही हूं बस,बस का ही wait कर रही हूं मैं शाम होने से पहले पहुंच जाऊंगी "और वह फोन रख देती। समीरा एक बहुत ही होशियार लड़की थी उसके घर में उसके अलावा उसके मम्मी - पापा ही थें।उसके पापा रिटायर हो चुके थें इसलिए समीरा काम कर घर खर्च चला रही थी पर अब वो शादी के लायक हो गई थी इसलिए उसके मम्मी - पापा उसका रिश्ता देख रहे थें ।आज शाम को लड़के वाले आने वाले थें इसलिए समीरा की मां उसे जल्दी घर बुलाई थी।वे लड़के अब समीरा के पास आकर उसे छेड़ने लगते तभी समीरा उसमें से एक लड़के को तमाचा जड़ देती उसी वक़्त बस आ जाती और वह वहां से चली जाती ।शाम को लड़के वाले आते हैं और दोनों तरफ से रिश्ता पक्का हो जाता है।कुछ ही दिन बाद समीरा की शादी हो जाती और वह अपने ससुराल चली जाती ।वहां ससुराल में वह सबसे मिलती तभी वह अपने देवर को देख चौंक जाती क्योंकि उसका देवर और कोई नहीं वही लड़का था जिसे समीरा बस स्टॉप पर तमाचा जड़ दी थी ।उसका देवर भी उसे देख अंदर ही अंदर जलने लगता है,पर समीरा अपने पति नरेश से और न ही घरवालों से इस बारे में कुछ बताती है।कुछ दिन सब कुछ ठीक चलता।एक दिन सभी डायनिंग टेबल पर नाश्ता करने बैठे थें कि अचानक समीरा के चीखने की आवाज आने लगती सभी भागकर जाते हैं तो देखते कि उसका देवर      समीरा पर चाकू ताने खड़ा है वे लोग उसके देवर के हाथ से चाकू छीन पूछते हैं क्या हुआ तुम ऐसे क्यों कर रहे हो उसका देवर बोलता मां - पापा भाभी मुझसे गलत व्यवहार कर रही थी और जब मैं इंकार किया तो मानी नहीं मुझे गुस्सा आया तो मैंने उस पर चाकू तान दिया।तभी समीरा अपने पति नरेश को बोलती " नहीं नरेश जी आपका भाई झूठ बोल रहा है मेरा विश्वास कीजिए वह ही मुझसे गलत व्यवहार कर रहा था, मैं उसे मना की तो वह मुझे चाकू दिखाकर डराने लगा इसलिए मैं चीखी।" उसके सास - ससुर समीरा पर ही दोष मड़ने लगते " कहते, जब तक लड़की नहीं चाहेगी तब तक कोई लड़का आगे कदम नहीं बढ़ाता" और उसके लिए गलत - गलत शब्द का प्रयोग करने लगते।तब नरेश कहता " नहीं ,समीरा सच बोल रही है वह झूठ नहीं बोल सकती मुझे उस पर पूरा विश्वास है।" तब उसके मां - बाप बोलते " अरे बेटा! तू दो दिन आई लड़की पे भरोसा कर रहा है और अपने खुद के भाई को दोष दे रहा है।" तब नरेश कहता " हां मां,समीरा से तो मेरा दो दिन पहले का रिश्ता है पर मेरे भाई के साथ कितने सालों का" और इसीलिए मैं अपने भाई को अच्छी तरह से जानता हूं ।उसका तो कई बार मेरे पास भी शिकायत आया मैंने उसे सचेत भी किया था पर वह आदत से मजबूर है। मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि समीरा सच्ची है ।तब उसके मां- बाप गुस्से में बोलते ठीक है अगर तुझे तेरा भाई ही गलत लगता है तो तू अपनी पत्नी को लेकर यहां से चला जा ,क्योंकि इस घर में ऐसे लोगों की जरूरत नहीं जो दो दिन आई लड़की के बातों में आकर अपना खून के रिश्ते को ही झूठा कह दिया।तब नरेश बोलता है - ठीक है मां , आपलोगो की जो इच्छा हम दोनों यहां से चले जाते हैं पर सच जब तक आप लोगो के सामने आएगी तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी और ऐसे कह नरेश अपनी पत्नी समीरा को लेकर वहां से हमेशा के लिए चला जाता।
        धन्यवाद

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