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लघुकथा- उसका संघर्ष

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Short Story 38377 0 Hindi :: हिंदी

	एक महिला एक बच्चे को गोद में लेकर मोहन के घर पहुंची और अपने जार-जार हो चुके ब्लाउज को साड़ी के आंचल में छुपाते हुए बोली, ‘‘हुजूर, काम की तलाश में मैं यहां-वहां भटक रही हंूं। आपके घर में काम मिल जाए, तो बड़ी कृपा होगी।’’
	मोहन की पत्नी बीमार थी। घर के काम के लिए मोहन को कामवाली की ही तलाश थी। 
मोहन उसे बिस्तर में पड़ी अपनी पत्नी के पास शयनकक्ष में ले गया। 
उसकी बीवी कमजोरी के चलते उठ-बैठ नहीं पा रही थी। लेटे-लेेटे ही वह उसे दरवाजे के पास बुलाकर पूछी,‘‘क्या नाम है तुम्हारा? कहीं काम की है?’’
	जवाब आया,‘‘श्यामा नाम है मेरा। कहीं काम नहीं की हूं। घर का काम है, इसलिए कर सकती हंू।’’
     ‘‘हूं!ं’ करवट बदलते हुए मोहन की पत्नी फिर प्रश्न की, ‘‘तेरा मरद करता क्या है?’’
	‘‘वह नहीं है। मर चुका है।’’
	मोहन की पत्नी सिर उठाकर चैकी,‘‘कब?’’
	‘‘तीन माह पहले; एक मोटर दुर्घटना में!’’ श्यामा का गला भर आया।
	‘‘बच्चे कित्ते हैं?’’
	‘‘एक भी नहीं’’ श्यामा पीड़ा से कराह उठी।
	‘‘फिर ये गोद का बच्चा...?’’ मोहन की बीवी हैरत से पूछी!
	‘‘यह भतीजा है मेरा। भाई-भौजाई का देहांत भी उसी सड़क हादसे में हो गया, जिसमें मेरे पति का हुआ है।’’
	‘‘धन्य है यह नारी, जो भीषण झंझावातों के बावजूद जीने के लिए संघर्ष कर रही है। एक ऐसे मासूम बच्चे की जवाबदारी उठा रही है, जो उसका खुद का नहीं है।’’ मोहन की पत्नी करवट बदलकर मन-ही-मन सोचने लगी, 
फिर स्वगत कथन की, ‘‘दूसरी ओर वे साधन-संपन्न महिलाएं हैं, जो जरा-सी परेशानी से हाय-तौबा मचाती हैं। बिस्तर पकड़ लेती हैं; छुई-मुई हो जाती हैं। क्या मैं भी ऐसी नारी नहीं हूं?’’  
वह तुरंत उठी और फैसला करी। फिर श्यामा को काम बताई कि क्या करना है और क्या नहीं?
	इस बीच वह उसके भतीजे को भरपेट खाना खिलाई; दूध पिलाई। 
वह उसको अपनी गोदी में तब तक झुलाई और सुलाई; जब तक श्यामा का काम खत्म नहीं हो गया।
ऐसा करते हुई उसे अजीब सुकून मिल रहा था। वह अपने-आप को तंदुरुस्त महसूस कर रही थी।	
	             --00--
अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपके प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
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निवेदन है कि लेखक की अन्य रचनाओं का अध्ययन करने और उसको प्रोत्साहन देने के लिए ‘‘गूगल प्ले स्टोर’’ से ‘‘प्रतिलिपि एप’’ डाउनलोड कर ‘‘वीरेंद्र देवांगन’’ के नाम से सर्च किया जा सकता है और लेखक की रचनाओं का आनंद उठाया जा सकता है।

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