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तु रोज रोज आया कर

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कहानियाँ अन्य तु रोज रोज आया कर 18530 0 Hindi :: हिंदी

मैं तब भी तेरा ही आशिक था 
और अब भी
बस कुछ हम बदल गए 
थोडा हालात बिगड गया 
बाकी मैं बही ज़ाजबात बही 
येहसाश बही 
आज भी तेरे लिए ही धाडकता है दिल

जब तु हवा के जैसे लहराती 
सरसराती इतराती बलखाती 
मेरे पास से गुजरती हैं 
जब तुम रंग बिरंगे 
फूलो के तरह मुस्कुराती हैं 
खिलखिलाती चीढाती 
मेरे पास से गुजरती हैं  
सच कहु तो यार तु
नशे मे झुमता मै कदा 
शराब मे सरावोर 
माधुशाला सी लगती हैं 

तु रोज रोज आया कर 
मेरे बज़म मे 
एैसे ही मुझे रोज रोज 
आ के सताया कर  
जब भी तेरा मन करे मे
रे बादवा मे 
घाडी दो घाडी ही सही 
घुम जाया कर 
इसी बहाने दिल को 
तसली मिल जाये गी 
की अब भी हम जिन्दा है 
बस इतना ही किया कर 
की तु रोज रोज रोज रोज 
मुझे थोडा थोडा मारा कर

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