Ranjana sharma 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Google 71254 0 Hindi :: हिंदी
एकबार एक लेखिका एक किताब लिख रही थीं उसने लगभग किताब लिख ही ली थी पर अंत लिखना बाकी था तभी उसकी किसी कारणवश मृत्यु हो जाती।वैसे तो,उसके बहुत से पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी थी यह उनका आखिरी पुस्तक अधूरी रह गई।उसके शौक सभा में बहुत से उसके चाहने वाले भी शामिल हुए थें, जिसमें से एक चाहने वाले की नजर उन महान लेखिका ' श्रीमती विनीता शर्मा ' के पुस्तक ' जिंदगी यही है' पर पड़ गई।वह उसके परिवार वालों की आज्ञा से ले जाती है और उसे बहुत जिज्ञासा पूर्वक पढ़ने लगती पर पढ़ने के बाद उसे पता चलता है कि वह पुस्तक अधूरी है इसलिए वह उसे पूरा करने को सोचती ,वह उस पुस्तक को पूरा कर प्रकाशित करने के लिए दे देती ।कुछ दिन बाद वही पुस्तक मार्केट में जोर - शोर से बिकने लगी थी जिसके कारण भूमिका (चाहने वाली) को पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए एक छोटा - सा पुरस्कार समारोह रखा गया था।वह उस समारोह में शामिल होती पर वह स्टेज पर जाकर सबको बताती है कि यह पुस्तक मैंने नहीं लिखी है ,मैंने तो बस कुछ वाक्यांश से इसे पूरा किया है सारा श्रेय तो ' श्रीमती विनीता शर्मा ' जी को ही जाती है जिन्होंने ऐसी महान पुस्तक ' जिंदगी यही है ' लिखी है ।भूमिका पुरस्कार लेने से मना करती ,कहती आप सभीलोग यहां आमंत्रित कर मुझे इतना मान- सम्मान दिए इससे ज्यादा और मुझे कुछ नहीं चाहिए ,पर पुरस्कार से सम्मानित करने वाले व्यक्ति कहते हैं कि यह पुरस्कार हम आपको आपकी ईमानदारी और सच्ची लेखिका के लिए दे रहें हैं और वह खुशी - खुशी पुरस्कार स्वीकार कर लेती और ' श्रीमती विनीता शर्मा ' को नमन करती । धन्यवाद