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प्यार

Pinky Kumar 17 Apr 2023 आलेख समाजिक 19276 0 Hindi :: हिंदी

प्यार का रोग किसे नहीं लगा है। कौन है ऐसा जो प्यार में नहीं पड़ा आज कल का प्यार थोड़ा अलग होता है। जैसे प्यार के नाम पर किसी किं हत्या कर देना किसी के टुकड़े कर देना जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे तो आज का प्यार साबित नहीं होता यह मारा तरीका है। प्यार को साबित करने का 
युवाओ से कहना चाहती कि कृप्या प्यार थोड़ा देख कर करे समझ कर करे क्योंकि आज का प्यार थोड़ा महंगा ही चुका है। क्योंकि प्यार के नाम पर हत्याये होने लगी है। यह तो थी मजाक कि बात असल बात यह है कि चन्द मिनटो के प्यार के लिए आप अपनी पुरी जिन्दगी दाव पर लगा देते हो अपने घर वालो को छोड़ देते हो घर वालो को धोखा देते दो और ऐसे लड़के या लड़की के चकरो में आकर अपना पुरा जीवन खराब कर लेते हो सोचा है कभी और इसे प्यार नहीं कहते इसे एक आकर्षण बोल सकते है। जो कुछ ही दिनो का या कुछ ही मिनटो का होता है। और जब हम सच्चाई को जान लेते है कि यह मेरा प्यार नहीं यह तो मेरी सबसे बड़ी भुल थी इसी कारण वह कुछ ही दिनो में दोनो अलग हो जाते है। अगर दोनों में से कोई एक भी अलग नहीं होता तो उसे मार दिया जाता है। उसके डकड़े कर दिये जाते है। यही है। आज के प्यार कि हकीकत समझलों कि कोई प्यार नहीं होता यह तो एक तरह का आकर्षण होता है। जो आपकों गलत फैसले लेने को मजबूर कर देता है। और आप जज्बाती होकर आप अपनी लाईफ का गलत फैसला ले बैठते हो हकित कुछ अलग है। बात यह है कि जब एक लड़का और एक लड़की एक दुसरे को देख कर आकृर्षति होते है। तो वह एक दुसरे के जननांग को देख कर आकृर्षित होते है। और इसी चहाँ में लड़का लड़की कि खुबसुरती कि तारीफ करता है। और लड़की भी ऐसा ही करती है। असल में यह प्यार नहीं है। यह एक तरह कि हवस है। अगर पुरी हो जाती है। तो फिर देखो एक दुसरे को देखना भी पंसद नहीं करेगें फिर कहाँ गया इनका प्यार समझों इस बात को चन्द मिनटो अपनी पुरी लाईफ तबाह कर बैठते हो समझ कि बात है। अगर जो सच्चाई को जान लेता है। तो वह इन सब बातो से कोसो दूर रहता है। उसके लिए यह सब बाते मायने नहीं रखती और वह अपने जीवन में आगे बढ़ता है। एक हवस को प्यार का नाम मत दो
मेने अपने लेख में एक लड़का और लड़की के प्यार कि बात करी है। मुझे गलत ना समझे बल्की सरचाई यह कि आज कल के युवा लोग प्यार शब्द कि परिभाषा को गलत कर दिया है।
प्यार एक निस्वार्थ भाव है। जिसमें एक दुसरे को लेकर कोई स्वार्थ नहीं होता चाहें कहीं भी रहों बस अपना ध्यान रखना जैसे एक माँ का प्यार अपने बच्चे को लेकर होता है। निस्वार्थ भाव बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चे कि परवरिश करती है। और नो महिने अपने कोख मे पालती है। खुद्ध दुःख सह लेती है। माँ पर अपने बच्चे को दुख से कौसो दुर रखती है। माँ
जैसे बहन भाई का प्यार इतना ध्यान रखता है। भाई कि मेरी बहन को कुछ नहीं होना चाहिए बिना मांगे सब दिलाने कि हिम्त रखता है। भाई यह है। प्यार जिसमें किसी भी प्रकार का कोई स्वार्थ नहीं होता
ऐसे तमाम उदाहरण है। जो प्यार पर सब कुछ लुटा देने कि हिम्त रखता है। प्यार बस जिस्म कि हवस नहीं है। प्यार इसे समझों निस्वार्थ भाव है। प्यार 

शादीया भी शरीर कि इच्छाओं को देख कि जाति है। लड़की चाहती है। कि में माँ बन जाऊ लड़का चाहता है। कि मे पिता बननाऊ दादी चाहती है। कि में अपने पोते को गोद में खिलाना चाहती हूँ तो इन सब बातो में प्यार कहाँ से आगया यह प्यार नहीं यह एक प्रकार का सोदा है। यह स्वार्थ वाला प्यार है। जो बिना स्वार्थ का जिया जाये वही है। प्यार

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