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व्यंग्य:: नववर्ष का स्वागतःः

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 कहानियाँ हास्य-व्यंग Satire 87390 0 Hindi :: हिंदी

हे नववर्ष,
आगत का है स्वागत तथा दुआ-सलामत कि रखो हमारा ध्यान; कोरोना की वजह से फिर न जाए किसी बेकसूर की जान। रखो सबका मान; यही विनती है। हे नववर्ष कृपानिदान! करते हैं अर्ज; तुम्हारा भी बनता है फर्ज। सुनो, हमारी फरियाद; अब न भेजो कोरोना की कोई नाजायज औलाद। 
अब न हो इंसानों की बेतहाशा भीड़; उजड़े न किसी का नीड़। मिले दवाई; फिर भी, न करें ढिलाई। सब समझें अपना दायित्व; यही है देश के प्रति सबका उत्तरदायित्व।
अब, देश में कहीं न हो, दंगा; सबका दिल-दिमाग रहे चंगा। नागरिकता कानून और कृषि कानून से किसी को हो ऐतराज, तो करें सरकार से कुशलतम संवाद।
शाहीनबाग और दिल्ली बार्डर को तभी करो जाम; जब पक्का यकीन हो जाए कि हम नहीं हैं, इस देश के जिम्मेदार इंसान। जब देश है सबकी; तब अपनी सरकारों को क्यों दें गीदड़ भभकी? 
सब समस्या का है समाधान; पर जिद्द, झख, हठ, हेठी और शक का नहीं कोई निदान। इतना समझ लो, हे नादान इंसान!
आधारभूत संरचनाओं का वो करे नुकसान, जो नहीं है सच्चा किसान। जो है सच्चा किसान; वो क्यों करे देशवासियों को हलाकान? असली किसान है अन्नदाता और भारत भाग्य विधाता, जिसको खेती के अलावा कुछ नहीं है सुहाता।
नववर्ष में न हो किसी बेगुनाह की गिरफ्तारी, न करे बालीवुड ड्रग पैडलरों की सवारी। अब आत्महत्या न करे कोई सुशांत; केंद्र से न भिड़े कोई प्रांत। न निकले किसी बैंक का दीवाला, न हो किसी बैंक में घोटाला। भगोड़े हों गिरफ्तार; उनका करते रहें बेड़ापार।
दुराचारियों का निकालें तेल, उनको न मिले बेल। समुद्र में न लाना तूफान, फिर चाहे हुदहुद हो या अंफान।
चीन व पाकिस्तान सदा यही चाहते, देश रहे समस्याओं से जूझते। पर उनकी चाल; कभी न होगी कामयाब, जब देशवासी बने रहेंगे मजबूत ढाल।
आगे है चुनाव की ताल; फिर चाहे यूपी, पंजाब, उत्तराखंड या हो गोवा। बिगड़ न पाए भाईचारा; चुनाव है जनतंत्र की धारा। फिसले न किसी की जुबान; सब करें लोकतंत्र का सम्मान। 
विपक्षियों को मिले दक्ष; नया कोई अध्यक्ष। न चले पुराना; नए का है जमाना। वंशवाद को दें तिलांजलि; नहीं तो दे दी जाएगी पार्टी को श्रद्धांजलि। जागरूक हो चुका है मतदाता; अब न कोई उसे भरमा पाता।
सब ईवीएम पर करें गुमान; हारने पर उसका न करें अपमान। पुलिस-प्रशासन जगाए सबका विश्वास; न करे फिर किसी ‘‘दुबे का बेजा विकास’’।
कश्मीर बनी रहे जन्नत; सब करें मन्नत। आतंकियों की टूटे कमर और फूटे पाकिस्तान की नजर। पाक को आए लाज; कश्मीर बना रहे भारत का ताज।
दुनिया में बनी रहे सुख-शांति; न छाए अशांति। सुनो, हमारी पुकार! हे नया-नया साल!!
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपके प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।





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