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खामोशी

Ranjana sharma 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक Google 75524 0 Hindi :: हिंदी

गर्मी की छुट्टी खत्म हो गई थी बच्चे सब स्कूल जाने लगे थें ।पुष्पा भी अपनी बेटी रिया को स्कूल भेजने की तैयारी कर रही थी पर रिया जो मात्र 4 साल की थी उसे स्कूल जाने का बिल्कुल मन नहीं था जिस कारण वह अपने पापा के गोद में बैठकर रो रही थी कि मुझे स्कूल मत भेजो पापा ! पर मम्मी को यह मंजूर नहीं थी कि रिया लाड - प्यार में अपनी स्कूल की पढ़ाई मिस करें इसलिए वह उसे जबरदस्ती स्कूल के लिए तैयार करने लगी, पर रिया का रोना बंद नहीं हो रही थी तब उसके पापा बोलते तुम उस बच्ची से एक बार पूछ तो लो आखिर वह स्कूल क्यों नहीं जाना चाहती तब पुष्पा बोलती अरे ! आजकल के बच्चे बस मोबाइल, टीवी इन्हीं सब के कारण पढ़ाई नहीं करने का बहाना करते रहते।तब रिया को उसके पापा कहते " बेटी तुम अभी स्कूल चले जाओ मैं तुम्हारे लिए शाम को खिलौने खरीद दूंगा जो तुम्हें चाहिए, पर रिया बेचारी रोती ही रहती।उसकी मम्मी उसे स्कूल बस तक छोड़ घर आ जाती ।दोपहर में जब उसके मम्मी- पापा बस स्टॉप पर अपनी बच्ची रिया का इंतजार कर रहें थें तब बस तो आती पर रिया खामोश हो चुकी थी क्योंकि उसके साथ जो हुआ था उससे उसके मम्मी- पापा का दिल दहल उठा था " क्या लोग इतना निर्दयी हो गए हैं कि 4 साल की बच्ची को भी नहीं छोड़ते ।"तब उसके मम्मी - पापा सोचते हैं कि शायद रिया को पहले ही एहसास हो चुकी थी इसलिए वह हमसे दूर नहीं जाना चाहती थी पर किसे पता था कि मेरी बच्ची फिर कभी नहीं बोलेगी ,पापा का लाया खिलौना देख अब कोन मुस्कुराएगा ।
                                                     धन्यवाद

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