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हिन्दू परम्पराएं और उनका महत्व

Karan Singh 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/भंडारा और तीन दोस्त/हिन्दू परम्पराएं और उनका महत्व/चौदह प्राचीन हिन्दू परम्पराएं और उनसे जुड़े लाभ/Sapno ka sodagar... Karan Singh/शादी-विवाह का महत्व/शादी-विवाह के लिए गोत्रो का महत्व/ 16435 0 Hindi :: हिंदी

हिन्दू परम्पराएं और उनका महत्व

*चौदह प्राचीन हिन्दू परम्पराएं और उनसे जुड़े लाभ!!!!*
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प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....... करण सिंह
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 *पुराने समय से बहुत सी परंपराएं प्रचलित हैं, जिनका पालन आज भी काफी लोग कर रहे हैं। ये परंपराएं धर्म से जुड़ी दिखाई देती हैं, लेकिन इनके वैज्ञानिक कारण भी हैं। जो लोग इन परंपराओं को अपने जीवन में उतारते हैं, वे स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों से बचे रहते हैं। यहां जानिए ऐसी ही चौदह प्रमुख परंपराएं, जिनका पालन अधिकतर परिवारों में किया जाता है…*
 
*🚩1️⃣एक ही गोत्र में शादी नहीं करना : -* कई शोधों में ये बात सामने आई है कि व्यक्ति को जेनेटिक बीमारी न हो इसके लिए एक इलाज है *‘सेपरेशन ऑफ़ जींस’*,यानी अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नहीं करना चाहिए। रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नहीं हो पाते हैं और जींस से संबंधित बीमारियां जैसे *कलर ब्लाईंडनेस* आदि होने की संभावनाएं रहती हैं। संभवत: पुराने समय में ही *जींस* और *डीएनए* के बारे खोज कर ली गई थी और इसी कारण एक गोत्र में विवाह न करने की परंपरा बनाई गई।

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प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....... करण सिंह
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*🚩2️⃣कान छिदवाने की परंपरा : -* स्त्री और पुरुषों, दोनों के लिए पुराने समय से ही कान छिदवाने की परंपरा चली आ रही है। हालांकि, आज पुरुष वर्ग में ये परंपरा मानने वालों की संख्या काफी कम हो गई है। इस परंपरा की वैज्ञानिक मानयता ये है कि इससे *सोचने की शक्ति* बढ़ती है, *बोली अच्छी होती है।* कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित और व्यवस्थित रहता है। कान छिदवाने से *एक्यूपंक्चर* से होने वाले स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे छोटे बच्चों को *नजर* भी नहीं लगती है।

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प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....... करण सिंह
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*🚩3️⃣माथे पर तिलक लगाना : -* स्त्री और पुरुष माथे पर कुमकुम, चंदन का तिलक लगाते हैं। इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क यह है कि दोनों आंखों के बीच में *आज्ञा चक्र* होता है। इसी चक्र स्थान पर तिलक लगाया जाता है। इस चक्र पर तिलक लगाने से हमारी *एकाग्रता* बढ़ती है। मन बेकार की बातों में उलझता नहीं है। तिलक लगाते समय उंगली या अंगूठे का जो दबाव बनता है, उससे माथे तक जाने वाली नसों का *रक्त संचार* व्यवस्थित होता है। रक्त कोशिकाएं *सक्रिय* हो जाती हैं।

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प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....... करण सिंह
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*🚩4️⃣जमीन पर बैठकर भोजन करना : -* जमीन पर बैठकर भोजन करना *पाचन तंत्र* और पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। *पालथी मारकर* बैठना एक *योग* आसन है। इस अवस्था में बैठने से मस्तिष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। पालथी मारकर भोजन करते समय दिमाग से एक संकेत पेट तक जाता है कि पेट भोजन ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाए। इस आसन में बैठने से *गैस, कब्ज, अपच* जैसी समस्याएं दूर रहती हैं।

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प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....... करण सिंह
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*🚩5️⃣हाथ जोड़कर नमस्ते करना : -* हम जब भी किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते या नमस्कार करते हैं। इस परंपरा का *वैज्ञानिक तर्क* यह है नमस्ते करते समय सभी उंगलियों के शीर्ष आपस में एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर *दबाव पड़ता है।* हाथों की उंगलियों की नसों का संबंध शरीर के सभी प्रमुख अंगों से होता है। इस कारण उंगलियों पर दबाव पड़ता है तो इस *एक्यूप्रेशर* (दबाव) का सीधा असर हमारी *आंखों, कानों और दिमाग पर होता है।*

 साथ ही, नमस्ते करने से सामने वाला व्यक्ति हम लंबे समय तक याद रह पाता है। इस संबंध में एक अन्य तर्क यह है कि जब हम *हाथ मिलाकर अभिवादन करते है तो सामने वाले व्यक्ति के कीटाणु हम तक पहुंच सकते हैं। जबकि नमस्ते करने पर एक-दूसरे का शारीरिक रूप से संपर्क नहीं हो पाता है और बीमारी फैलाने वाले वायरस हम तक पहुंच नहीं पाते हैं।*

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प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....... करण सिंह
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*🚩6️⃣भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से : -*  धार्मिक कार्यक्रमों में भोजन की शुरुआत अक्सर मिर्च-मसाले वाले व्यंजन से होती है और भोजन का अंत *मिठाई* से होता है। इसका वैज्ञानिक तर्क यह है कि तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। *अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।*

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*🚩7️⃣पीपल की पूजा : -* आमतौर पर लोगों की मान्यता यह है कि पीपल की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसका एक तर्क यह है कि इसकी पूजा इसलिए की जाती है, ताकि हम वृक्षों की सुरक्षा और देखभाल करें और *वृक्षों का सम्मान करें,* उन्हें काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा वृक्ष है, जो रात में भी *ऑक्सीजन* छोड़ता है। इसीलिए अन्य वृक्षों की अपेक्षा इसका महत्व काफी अधिक बताया गया है।

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*🚩8️⃣दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना : -* 
दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने पर *बुरे सपने आते हैं।* इसीलिए उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए। इसका वैज्ञानिक तर्क ये है कि जब हम उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की *चुंबकीय तरंगों* की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी *लोहा दिमाग की ओर प्रवाहित होने लगता है।* इससे दिमाग से संबंधित कोई बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर भी असंतुतित हो सकता है। *दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से ये परेशानियां नहीं होती हैं।*

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*🚩9️⃣सूर्य की पूजा करना : -* सुबह सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है। इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क ये है कि *जल चढ़ाते समय पानी से आने वाली सूर्य की किरणें, जब आंखों हमारी में पहुंचती हैं तो आंखों की रोशनी अच्छी होती है।* साथ ही, सुबह-सुबह की धूप भी हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद होती है। शास्त्रों की मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाने से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है। *कुंडली में सूर्य के अशुभ फल खत्म होते हैं।*

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*🚩1️⃣0️⃣चोटी रखना : -* पुराने समय में सभी ऋषि-मुनी सिर पर चोटी रखते थे। आज भी कई लोग रखते हैं। *इस संबंध में मान्यता है कि जिस जगह पर चोटी रखी जाती है, उस जगह दिमाग की सारी नसों का केंद्र होता है।* यहां चोटी रहती है तो दिमाग स्थिर रहता है। *क्रोध नहीं आता है और सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है। मानसिक मजबूती मिलती है और एकाग्रता बढ़ती है।*

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*🚩1️⃣1️⃣व्रत रखना : -* पूजा-पाठ, त्योहार या एकादशियों पर लोग व्रत रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार व्रत से *पाचन क्रिया* अच्छी होती है और फलाहार लेने से पाचनतंत्र को आराम मिलता है। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से *कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी, मधुमेह आदि रोग होने की संभावनाएं भी कम रहती हैं।*

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 *🚩1️⃣2️⃣चरण स्पर्श करना : -* किसी बड़े व्यक्ति से मिलते समय उसके चरण स्पर्श करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। *यही संस्कार बच्चों को भी सिखाते हैं,* ताकि वे भी बड़ों का आदर करें। इस परंपरा के संबंध में मान्यता है कि मस्तिष्क से निकलने वाली ऊर्जा हमारे हाथों से सामने वाले पैरों तक पहुंचती है और बड़े व्यक्ति के पैरों से होते हुए उसके हाथों तक पहुंचती है। *आशीर्वाद देते समय व्यक्ति चरण छूने वाले के सिर पर अपना हाथ रखता है, इससे हाथों से वह ऊर्जा पुन: हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती है।* इससे ऊर्जा का एक चक्र पूरा होता है।

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*🚩1️⃣3️⃣मांग में सिंदूर लगाना : -* विवाहित महिलाओं के लिए मांग में सिंदूर लगाना अनिवार्य परंपरा है। इस संबंध में तर्क यह है कि *सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी (पारा- तरल धातु) होता है। इन तीनों का मिश्रण शरीर के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। इससे मानसिक तनाव भी कम होता है।*

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*🚩1️⃣4️⃣तुलसी की पूजा : -* तुलसी की पूजा करने से घर में *सुख-समृद्धि* बनी रहती है। शांति रहती है। इसका तर्क यह है कि तुलसी के संपर्क से हमारा *इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।यदि घर में तुलसी होगी तो इसकी पत्तियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे कई बीमारियां दूर रहती हैं।*
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