संदीप कुमार सिंह 22 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 22356 0 Hindi :: हिंदी
जीवन के संघर्ष में,कितने छूटे यार। और मिले नव यार भी,आगे हो गुलजार।। जीवन के संघर्ष में,आते हैं आनंद। गिर कर उठना है यहां,ऐसे जन हैं चंद।। जीवन के संघर्ष में,लगा हुआ हूं रोज। फिर भी मंजिल दूर है,जारी है नव खोज।। जीवन के संघर्ष में,रहूं सदा तैयार। अंदर से दृढ़ जो जन रहे,उसे मिले उपहार।। जीवन के संघर्ष में,माने कभी न हार। मंथन चिंतन से बढ़ें,किस्मत करे दुलार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....