Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

घडी के सुइयां

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य घडी के सुइयां 20261 0 Hindi :: हिंदी

तुझसे मिलने के चाहत  में 
दिन मैं गीनते रहता हूँ 
जैसे फुलों के चाहत में  
गुलशन महका करते है 

घडी के सुइयां अटक गई हो 
समय के पहिया लटक गया हो 
वक्त जैसे थम गया हो 
रात दिन से दिन रात से 
मिल गया  हो

तुझ से मिलन के आसरा मे 
दिल ने मन को मोह लिया 
जब  मिलन होगा अपना 
चाँद तारे थम जायेगे 
काश उस बक्त ऐसा हो 
तु मुझ मे सिमट जाये 
और तुझसे लिपट जाऊ 
समय बही पे रुक जाये 
और मैं तुझ मे समाजाऊ 

बस और कुछ नही चहुँ 
क्या और मांगु मैं रब से 
तु मिल गया ज़हा मिल गया 
और क्या चाहू मैं रब से 
बस बो दिन जल्दी आये 
जब तु मेरी बहो मे हो 
और  सदा सदा के लिए  
आखें तुझ पे ठहर जाये

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: