Ranjana sharma 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद Google 88503 0 Hindi :: हिंदी
रागिनी अपनी सहेली पुष्पा के साथ कॉलेज से लौट रही थी आज उनलोगो का बी.ए फाइनल ईयर का अंतिम परीक्षा था।वे दोनों खुशी - खुशी अपने घर जा रहे थें कि उन्हें रास्ते में चूड़ियां ले लो चूड़ियां आवाज करते हुए एक १२ वर्षीय लड़का दिखाई देता ।वे दोनों जब उस चूड़ी वाले के पास पहुंचती , तो वह १२ वर्षीय लड़का कहता " दीदी चूड़ियां ले लो चूड़ियां रंग- बिरंगी चूड़ियां आपके गोरे हाथ में बहुत सुंदर लगेगी पहन लो दीदी चूड़ियां।"रागिनी कहती कि हमें चूड़ियां नहीं चाहिए ।तब वह लड़का बोलता है दीदी कुछ चूड़ियां ले लो " आज मेरी एक भी चूड़ियां बिकी नहीं, शाम होने को आई है ।आज मेरे पास एक भी पैसा नहीं है वहां घर पर मेरी बीमार मां और मेरी छोटी बहन मेरी राह तक रहे होंगे कि मैं कब उनलोगो के लिए भोजन लेकर जाऊंगा ।" यह बात सुन पुष्पा को दया आ जाती बोलती " तुम क्या रोज चूड़ियां बेचकर अपने मां - बहन के लिए भोजन ले जाते हो।" वह लड़का कहता " हां! दीदी हमारा पेट इसी चूड़ियां के बिकने के बाद जो रुपया मिलता उसी से भरता है।" पुष्पा रागिनी पर दबाव डालती कि चलो कुछ चूड़ियां खरीद लेते हैं इससे उसका भी काम हो जाएगा और हमें भी अच्छा लगेगा कि हमने किसी गरीब की मदद की और वे दोनों चूड़ियां खरीद अपने घर की तरफ बढ़ जाती। यह कहानी इस बात को दर्शाती है कि" गरीब होना कितना दुः खदायी है उससे भी बड़ा दुःखदाई है गरीबों का जीवन बिताना।" धन्यवाद