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लघुकथा- चतुराई

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक short story 34122 0 Hindi :: हिंदी

	‘‘अमा यार, तुम्हें मालूम है! आज मेरे घर साधुओं की फौज आई थी।’’ राजेश ने सहकर्मी गौतम से कहा।

	गौतम ने अनमने ढंग से जवाब दिया,‘‘नहीं मालूम। क्या कोई खास बात हुई?’’

	‘‘वे एक जीप पर सवार थे। सब एक-से बढ़कर एक लग रहे थे। कोई जटा जूटधारी था, तो कोई कमंडलधारी। कोई तांत्रिक था, तो कोई मांत्रिक। दो नागा साधू थे, जो अपनेआप को तीसमारखां समझ रहे थे।’’ राजेश ने उनके हुलिए से उनका खुलासा किया। 

	‘‘इसमें कौन-सी खास बात है। वे झुंड-के-झुंड आते ही रहते हैं और आंख के अंधे, गांठ के पूरे को लूट कर चले जाते हैं। लगता है, तुम भी गांठ के पूरे हो गए हो, इसलिए तुम्हें चूना लगाने के लिए आए होंगे।’’ सहकर्मी ने दिल्लगी किया।

	‘‘इसमें खास बात यह हुई कि वे गोमेद, मंूगा और पुखराज के एवज में 1000 रुपये मांग रहे थे। मैंने उन्हें 100 रुपये में टरका दिया।’’ राजेश ने अपनी चालाकी जाहिर करते हुए कहा।

	‘‘अच्छा... कमाल कर दिया तुमने! दिखाओ जरा वह गोमेद, मूंगा और पुखराज!’’ गौतम हाथ बढ़ाते हुए शंका जताया।

	गौतम उसे ठोक-बजाकर देखा, तो राजेश की बेवकूफी पर मुस्कुराए बिना रह न सका, ‘‘ऐसे पत्थर बाजार में दस-दस रुपये में बिकते हैं। तुम हो कि 100 रुपये लुटाकर शेखी बघार रहे हो।’’

	अब, राजेश को काटो तो खून नहीं। उसे लगा कि कोई उसे धरती पर पटक दिया गया है।
 
वह अपनेआप को जितना होशियार समझता था, उससे कहीं अधिक उल्लू निकला, जो अंगूठाछाप साधुओं से ठगा गया।

	इसके बाद से वह उन साधुओं को लगातार ढूंढ़ने लगा, लेकिन अफसोस कि वे आज तक नहीं मिले।	ऐसे ठग साधू आपको मिलें, तो बताएं।				  
                                                                                                --00--
अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला veerendra kumar dewangan से सर्च कर या पाकेट नावेल के हिस्टोरिकल में क्लिक कर और उसके चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
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निवेदन है कि लेखक की अन्य रचनाओं का अध्ययन करने और उसको प्रोत्साहन देने के लिए ‘‘गूगल प्ले स्टोर’’ से ‘‘प्रतिलिपि एप’’ डाउनलोड कर ‘‘वीरेंद्र देवांगन’’ के नाम से सर्च किया जा सकता है और लेखक की रचनाओं का आनंद उठाया जा सकता है।

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