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भक्त नामदेव प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह

Karan Singh 30 Mar 2023 कहानियाँ धार्मिक Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/छत्रपति शिवाजी महाराज की महानता/भक्त नामदेव प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह/भक्ति/भक्त नामदेव/करण सिंह/ 14463 0 Hindi :: हिंदी

भक्त नामदेव
प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह

*कन्धे पर कपड़े का थान लादे और हाट-बाजार जाने की तैयारी करते हुए नामदेव जी से पत्नि ने कहा- भगत जी! आज घर में खाने को कुछ भी नहीं है।*
*आटा, नमक, दाल, चावल, गुड़ और शक्कर सब खत्म हो गए हैं।*
*शाम को बाजार से आते हुए घर के लिए राशन का सामान लेते आइएगा।*
*भक्त नामदेव जी ने उत्तर दिया- देखता हूँ जैसी कान्हा जी की मरजी।*
*अगर कोई अच्छा मूल्य मिला,*
*तो निश्चय ही घर में आज धन-धान्य आ जायेगा।*
*पत्नि बोली संत जी! अगर अच्छी कीमत ना भी मिले,*
*तब भी इस बुने हुए थान को बेचकर कुछ राशन तो ले आना।*
*घर के बड़े-बूढ़े तो भूख बर्दाश्त कर लेंगे।*
*पर बच्चे अभी छोटे हैं,*
*उनके लिए तो कुछ ले ही आना।*
*जैसी मेरे मोहन की इच्छा।*
*ऐसा कहकर भक्त नामदेव जी हाट-बाजार को चले गए।*
*बाजार में उन्हें किसी ने पुकारा- वाह भाई!  कपड़ा तो बड़ा अच्छा बुना है और ठोक भी अच्छी लगाई है।*
*तेरा परिवार बसता रहे।*
*ये फकीर ठंड में कांप-कांप कर मर जाएगा।*
*दया कर, और रब के नाम पर दो चादरे का कपड़ा इस फकीर की झोली में डाल दे।*
*भक्त नामदेव जी फकीर से बोले-  दो चादरे में कितना कपड़ा लगेगा फकीर जी?*
*फकीर ने जितना कपड़ा मांगा,*

भक्त नामदेव
प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह

*इतेफाक से भक्त नामदेव जी के थान में कुल कपड़ा उतना ही था।*
*और भक्त नामदेव जी ने पूरा थान उस फकीर को दान कर दिया।*
*दान करने के बाद जब भक्त नामदेव जी घर लौटने लगे तो उनके सामने परिजनो के भूखे चेहरे नजर आने लगे।*
*फिर पत्नि की कही बात*,
*कि घर में खाने की सब सामग्री खत्म है।*
*दाम कम भी मिले,  तो भी बच्चो के लिए तो कुछ ले ही आना।*
*अब दाम तो क्या,*
*थान भी दान में जा चुका था।*
*भक्त नामदेव जी एकांत मे पीपल की छाँव मे बैठ गए।*
*जैसी मेरे कान्हा की इच्छा।*
*जब सारी सृष्टि की सार पूर्ती वो खुद करता है,*
*तो अब मेरे परिवार की सार भी वो ही करेगा।*
*और फिर भक्त नामदेव जी अपने हरि के भजन में लीन गए।*
*अब भगवान कहां रुकने वाले थे।*
*भक्त नामदेव जी ने सारे परिवार की जिम्मेवारी अब उनके सुपुर्द जो कर दी थी।*
*अब भगवान जी ने भक्त जी की झोंपड़ी का दरवाजा खटखटाया।*
*नामदेव जी की पत्नी ने पूछा- कौन है?*
*नामदेव का घर यही है ना?*
*भगवान जी ने पूछा।*
*अंदर से आवाज आई, जी हाँ* 
*आपको कुछ चाहिये*?
*भगवान सोचने लगे कि*
 *"धन्य है नामदेव जी का परिवार"*
*घर मे कुछ भी नही है,  फिर भी ह्र्दय मे कुछ देने की,  किसी कि मदद की अब भी जिज्ञासा  हैl*
*भगवान बोले दरवाजा तो खोलिये*
*लेकिन आप कौन? हैं*
*भगवान जी ने कहा- सेवक की क्या पहचान होती है भगतानी?*

भक्त नामदेव
प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह

*जैसे नामदेव जी कान्हा के सेवक,*
*वैसे ही मैं नामदेव जी का सेवक हूं*
*ये राशन का सामान रखवा लो।*
*पत्नि ने दरवाजा पूरा खोल दिया।*
*फिर इतना राशन घर में उतरना शुरू हुआ,*
*कि घर के जीवों की घर में रहने की जगह ही कम पड़ गई।*
*इतना सामान! नामदेव जी ने भेजा है?*
*मुझे नहीं लगता।*
*पत्नी ने पूछा।*
*भगवान जी ने कहा*- 
*हाँ भगतानी! आज नामदेव का कपड़े का थान सच्ची सरकार ने खरीदा है।*
*जो नामदेव का सामर्थ्य था उसने भुगता दिया।*
*और अब जो मेरी सरकार का सामर्थ्य है.. वो चुकता कर रही है।*
*और जगह बताओ।*
*बहुत कुछ आने वाला है भगत जी के घर में।*
*शाम ढलने लगी थी और रात का अंधेरा अपने पांव पसारने लगा था*
*समान रखवाते-रखवाते पत्नि थक चुकी थीं।*
*बच्चे घर में अमीरी आते देख खुश थे।*
*वो कभी बोरे से शक्कर निकाल कर खाते और कभी गुड़।*
*कभी मेवे देख कर मन ललचाते और झोली भर-भर कर मेवे लेकर बैठ जाते।*
*उनके बालमन अभी तक तृप्त नहीं हुए थे।*
*भक्त नामदेव जी अभी तक घर नहीं आये थे,*
*पर सामान आना लगातार जारी था।*
*आखिर पत्नी ने हाथ जोड़ कर कहा- सेवक जी! अब बाकी का सामान संत जी के आने के बाद ही आप ले आना।*
*हमें उन्हें ढूंढ़ने जाना है क्योंकी वो अभी तक घर नहीं आए हैं।*
*भगवान जी बोले- वो तो गाँव के बाहर पीपल के नीचे बैठकर हरि का भजन-सिमरन कर रहे हैं।*
*अब परिजन नामदेव जी को देखने गये*
*🤔सब परिवार वालों को सामने देखकर नामदेव जी सोचने लगे,*
*जरूर ये भूख से बेहाल होकर मुझे ढूंढ़ रहे हैं।*
*इससे पहले की संत नामदेव जी कुछ कहते*
*उनकी पत्नी बोल पड़ीं- कुछ पैसे बचा लेने थे।*
*अगर थान अच्छे भाव बिक गया था,*
*तो सारा सामान  आज ही खरीद कर घर भेजना था क्या?*
*🙏🏻भक्त नामदेव जी कुछ पल के लिए विस्मित हुए।*
*फिर बच्चों के खिलते चेहरे देखकर उन्हें एहसास हो गया,*
*🙏🏻कि जरूर मेरे प्रभु ने कोई खेल कर दिया है।*
*पत्नि ने कहा अच्छी सरकार को आपने थान बेचा और वो तो समान घर मे भेजने से रुकता ही नहीं था।*
*पता नही कितने वर्षों तक का राशन दे गया।*
*उससे मिन्नत कर के रुकवाया- बस कर! बाकी संत जी के आने के बाद उनसे पूछ कर कहीं रखवाएँगे।*
*😊भक्त नामदेव जी हँसने लगे और बोले- !* 
*वो सरकार है ही ऐसी।*
*जब देना शुरू करती है तो सब लेने वाले थक जाते हैं।*
*उसकी बख्शी़श कभी भी खत्म नहीं होती।*
*वह सच्ची सरकार की तरह सदा कायम रहती है🙏🏻🙏🏻*



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