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लघुकथा- आजादी के सिपाही का सम्मान

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 कहानियाँ देश-प्रेम Short Story 10656 0 Hindi :: हिंदी

निजी बस में कंडक्टर टिकिट काटता हुआ एक वृद्ध के करीब पहुंचा, ‘‘कहां जाना है, ‘बा’?’’
‘‘माधोपुर’’ बेतकल्लुफी से जवाब मिला।
कंडक्टर माधोपुर का टिकिट काटकर उसी अंदाज में बोला, ‘‘पचास निकालो’’
वृद्ध की उम्र 70-75 के आसपास रही होगी। वह चकित रह गया। 
तल्खी व गर्व से बोला,‘‘मैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हूं। मेरे पास, ‘पास’ है।’’
‘‘यहां पास-वास नहीं चलता, ‘बा’। ‘पास’ चलानी हो, तो सरकारी बस में यात्रा किया करो।’’ कंडक्टर बेरूखी से जवाब दिया और अगले यात्रियों से निपटने लगा।
कंडक्टर के बेरूखेपन से वृद्ध को ठेस लगी। 
वृद्ध को कंडक्टर के भाव-भंगिमा से लगा कि यह प्रेमभाव से माननेवाला इंसान नहीं है, इसलिए उसने अपने भतीजे को फोन लगाकर आपबीती सुना दिया। 
फिर अगले नाके पर उसको उतारने का कहकर बस में चुपचाप बैठा रहा।
अगला स्टापेज नाका ही था। बस ज्योंही रूका, एक लम्बा-चौड़ा नौजवान बस के मुआयने के लिए बस में प्रवेश किया। 
एक सरसरी निगाह बस पर डाला। अपने ‘काका’ की ओर इशारा कर कंडक्टर से बोला, ‘‘ऐ कौन हैंं, जानता है।’’
कंडक्टर वृद्ध को दो-तीन बार ऊपर से नीचे देखा, फिर हवलदार की ओर देखकर अपराधी की भांति गिड़गिड़ाया, ‘‘हजूर गलती हो गई, माफी दे दें।’’
‘‘जिन रणबांकुरों ने आजादी के लिए संधर्ष किया है, उनका सम्मान करना सीखो। तुमलोग क्या लंद-फंद करते हो, सब मालूम है। मैं केस बनाने में टेम नहीं लगाऊंगा।’’ हवलदार ने कंडक्टर को डपटा, तो उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। 
इसके बाद वह कंडक्टर ‘आजादी के सिपाहियों’ को मुफ्त की सैर करवाने लगा।
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से  writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
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निवेदन है कि लेखक की अन्य रचनाओं का अध्ययन करने और उसको प्रोत्साहन देने के लिए ‘‘गूगल प्ले स्टोर’’ से ‘‘प्रतिलिपि एप’’ डाउनलोड कर ‘‘वीरेंद्र देवांगन’’ के नाम से सर्च किया जा सकता है और लेखक की रचनाओं का आनंद उठाया जा सकता है।

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