जन्मों का कर्ज
✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का
सौदागर......करण सिंह💐
*आज की प्रेरक रात्रिकालीन कहानी
*जन्मों का कर्ज*
एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे।
धर्म-कर्म में यकीन करते थे। उनके पास
जो भी व्यक्ति उधार माँगने आता वे उसे
मना नहीं करते थे। सेठ जी मुनीम को
बुलाते और जो उधार माँगने वाला व्यक्ति
होता उससे पूछते कि "भाई ! तुम उधार कब
लौटाओगे ? इस जन्म में या फिर अगले जन्म
में ?"
जो लोग ईमानदार होते वो कहते - "सेठ
जी ! हम तो इसी जन्म में आपका कर्ज़ चुकता
कर देंगे।" और कुछ लोग जो ज्यादा चालक
व बेईमान होते वे कहते - "सेठ जी ! हम
आपका कर्ज़ अगले जन्म में उतारेंगे।"
और अपनी चालाकी पर वे मन ही मन खुश होते
कि "क्या मूर्ख सेठ है ! अगले जन्म में
उधार वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है।"
ऐसे लोग मुनीम से पहले ही कह देते कि वो
अपना कर्ज़ अगले जन्म में लौटाएंगे और
मुनीम भी कभी किसी से कुछ पूछता नहीं
था। जो जैसा कह देता मुनीम वैसा ही बही
में लिख लेता।
✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का
सौदागर......करण सिंह💐
*आज की प्रेरक रात्रिकालीन कहानी
*जन्मों का कर्ज*
एक दिन एक चोर भी सेठ जी के पास उधार
माँगने पहुँचा। उसे भी मालूम था कि सेठ
अगले जन्म तक के लिए रकम उधार दे देता
है। हालांकि उसका मकसद उधार लेने से
अधिक सेठ की तिजोरी को देखना था। चोर ने
सेठ से कुछ रुपये उधार माँगे, सेठ ने
मुनीम को बुलाकर उधार देने कोई कहा।
मुनीम ने चोर से पूछा- "भाई ! इस जन्म
में लौटाओगे या अगले जन्म में ?" चोर ने
कहा - "मुनीम जी ! मैं यह रकम अगले जन्म
में लौटाऊँगा।" मुनीम ने तिजोरी
खोलकर पैसे उसे दे दिए। चोर ने भी
तिजोरी देख ली और तय कर लिया कि इस मूर्ख
सेठ की तिजोरी आज रात में उड़ा दूँगा।
रात में ही सेठ के घर पहुँच गया और
वहीं भैंसों के तबेले में छिपकर सेठ के
सोने का इन्तजार करने लगा। अचानक चोर ने
सुना कि भैंसे आपस में बातें कर रही हैं
और वह चोर भैंसों की भाषा ठीक से समझ पा
रहा है।
एक भैंस ने दूसरी से पूछा- "तुम तो
आज ही आई हो न, बहन !" उस भैंस ने जवाब
दिया- “हाँ, आज ही सेठ के तबेले में आई
हूँ, सेठ जी का पिछले जन्म का कर्ज़
उतारना है और तुम कब से यहाँ हो ?” उस
भैंस ने पलटकर पूछा तो पहले वाली भैंस
ने बताया- "मुझे तो तीन साल हो गए हैं,
बहन ! मैंने सेठ जी से कर्ज़ लिया था यह
कहकर कि अगले जन्म में लौटाऊँगी। सेठ से
उधार लेने के बाद जब मेरी मृत्यु हो गई
तो मैं भैंस बन गई और सेठ के तबेले में
चली आयी। अब दूध देकर उसका कर्ज़ उतार
रही हूँ। जब तक कर्ज़ की रकम पूरी नहीं
हो जाती तब तक यहीं रहना होगा।”
✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का
सौदागर......करण सिंह💐
*आज की प्रेरक रात्रिकालीन कहानी
*जन्मों का कर्ज*
चोर ने जब उन भैंसों की बातें सुनी
तो होश उड़ गए और वहाँ बंधी भैंसों की ओर
देखने लगा। वो समझ गया कि उधार चुकाना
ही पड़ता है, चाहे इस जन्म में या फिर
अगले जन्म में उसे चुकाना ही होगा। वह
उल्टे पाँव सेठ के घर की ओर भागा और जो
कर्ज़ उसने लिया था उसे फटाफट मुनीम को
लौटाकर रजिस्टर से अपना नाम कटवा लिया।
हम सब इस दुनिया में इसलिए आते हैं,
क्योंकि हमें किसी से लेना होता है तो
किसी का देना होता है। इस तरह से
प्रत्येक को कुछ न कुछ लेने देने के
हिसाब चुकाने होते हैं। इस कर्ज़ का
हिसाब चुकता करने के लिए इस दुनिया में
कोई बेटा बनकर आता है तो कोई बेटी बनकर
आती है, कोई पिता बनकर आता है, तो कोई माँ
बनकर आती है, कोई पति बनकर आता है, तो कोई
पत्नी बनकर आती है, कोई प्रेमी बनकर आता
है, तो कोई प्रेमिका बनकर आती है, कोई
मित्र बनकर आता है, तो कोई शत्रु बनकर
आता है, कोई पङोसी बनकर आता है तो कोई
रिश्तेदार बनकर आता है। चाहे दुःख हो या
सुख हिसाब तो सबको देना ही पड़ता हैं।
यही प्रकृति का नियम है..!!
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*सदैव प्रसन्न रहिये जो प्राप्त है वही
पर्याप्त है*
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✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का
सौदागर......करण सिंह💐
*आज की प्रेरक रात्रिकालीन कहानी
*जन्मों का कर्ज*