Ajay Rajpoot 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक उम्मीद, उम्मीदों पर शायरी, उम्मीद पर कविता 2023, Ummedon par poem, ummeed par kavita 2023,Ummeed kavita 2023 , Ajay rajpoot jhansi, Ajay Rajpoot, Love shayri, love ummeed par kavita 9329 1 5 Hindi :: हिंदी
जब भी मैं अकेला बैठता हूँ तो, याद आता है मुझे अपना बीता हुआ कल.. जो झंगझोर कर रख देता है मेरा सम्पूर्ण अस्तित्व.. और डुबो देता है मुझे दुखों के अनंत सागर में...... परंतु, उम्मीदें देती हैं मुझे, जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा.. मुझे उम्मीदें बताती हैं कि... कल नई कलियाँ खिलेंगी.. नए फूल मुसकायेंगे.. नए घोसले बनेंगे.. पत्थरों को चीरकर निकलेंगे कई पौधे.. वर्षों बाद मिलेंगे कई बिछड़ने वाले, जो हो गए थे किसी कारण से जुदा.. . . . . . और अंत में, मैं भी जीत जाऊँगा, खुद से खुद की जंग... वास्तव में उम्मीदों की कल्पना कितनी सुखद होती है न ???? ~ अजय राजपूत चिरगांव (झाँसी)
1 year ago