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अजनबी प्यार

MAHESH 30 Mar 2023 गीत प्यार-महोब्बत अजनबी प्यार 91571 0 Hindi :: हिंदी

स्वरचित रचना- कुछ मन की, कुछ मन के विचार!
संदर्भ-अजनबी प्यार !

*देखा न हाय रे, सोचा न हाय रे!
रख दी निशाने पे जान!
कदमों में तेरे निकले मेरा दम,
है बस यही अरमान!!
**********************
* जब भी ए गीत
मेरे जेहन में आता है, 
मेरा दिल-दिमाग,
सोच में पड़ जाता है,
आखिर ऐसा क्या हो जाता है!
कि बातों ही बातों में,
चंद लम्हों की,
अनदेखी मुलाकातों में,
कोई अजनबी
कुछ इस कदर
मन को भा जाता है!
कि उससे बात किए बिना,
रहा नहीं जाता है,
क्यों? उस क्यों के पीछे,
मन बावरा हो जाता है!
आखिर क्या नहीं है मेरे पास,
सब कुछ तो है मेरे पास!
सब कोई तो हैं मेरे साथ!!
आखिर क्या है उसमें ऐसा खास!
आखिर क्यों उसका अहसास,!
मन में भर देता है उल्लास!
क्यों? सारे‌ किन्तु-परन्तु को,
मन करके दरकिनार!
उसकी यादों में,
नादानों की तरह,
करने लगता है व्यवहार!
ख्यालों में वो, ख्वाबों में वो,
जिंदगी की कथा व किताबों में वो!
सांसों में वो, आंहों में वो,
दर्द बन के उभरता क्यों? आंखों में वो!
क्यों ? खुद से ज्यादा 
उसकी अहमियत होने लगती है!
क्यों?  उसकी कमी भी
खासियत लगने लगती है!
क्यों? उस की याद,
न जाने का नाम लेती है।
आखिर क्यों?  हरेक फरियाद,
उसी का ही नाम लेती है!
खाना-पीना, सोना सब,
दुश्वार सा लगता है,
क्यों?  उसके बिना 
सूना-सूना सा
संसार लगता है।
न कोई दर्द, न कोई मर्ज,
फिर भी तन-मन ए क्यों?
बीमार सा लगता है।
क्यों ? उसके बिना ए
जीवन बेकार सा लगता है!
ए कैसी बेकरारी है?
ए कौन सी बीमारी है?
ए किस जन्म की,
उधारी है?
ए कौन सा
पागलपन है?
ए कैसी खुमारी है?
वो कौन सा बंधन है?
वो कौन सा रिश्ता है?
वो कौन सा फरिश्ता है?
वो कौन सा किस्सा है?
कौन सा हिस्सा है?
वो तन्हाई में क्यों?
क्यों? कुछ ऐसे रंग भरता है,
कि रातें बेचैनी में ,
और दिन बेबसी की ज़ंग लड़ता है।
क्यों ?ए निगाहें उसकी
निगाहों में उतरना चाहती हैं। 
क्यों? ए बाहें उसे बांहों में,
भरना चाहती हैं ।
ए तड़प, ए कसक,
आखिर क्या संदेश देती हैं?
क्यों? आखिर क्यों? ए सांसें!
बस उस एक अजनबी का 
नाम ही "महेश" लेती हैं।
आखिर क्यूं?
Please tell me you. 
                ~✍️ महेश 

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